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________________ 72.2. 6] महाकपुर फत-विरइयउ महापुराणू पक्खि से हीर सारंगमा यंगर विकण्णरूकियं । बद्धसोहिल्लकप्पंधिवुद्ध यपत्तावलीतोरणं इंदणी सुकलं असीसुसी सुणिव्वारणं । तेयवंतं हुम्मिल्लकं तिल्ल दिव्वत्य सोहावहं अम्मर्पि पलितं व सत्तच्चिणा रंजियासावहं । कित्तिवेल्ली फुल्लं व सेयं दसासालिया माणियं जायवेयं कुधीरेण वीरेण " वाणारसी आणियं । धत्ता - दिउ तेत्थु वणु अण्क्क वि सीयहि जोव्वणु ॥ रावण चितव विहि समसंजोयवियखणु ॥ ॥ ॥ ares froगलु व दीस णिम्मलभरियस रु वणु दीसह संचरंतकमलु वराह वाह ar aes काला लिंगियउं व दीसइ अलय तिलय सहिउ 2 यह जो मण मणगलु ! सीहि जणु णिरु महुरसरु । सीहि जोन्वणु वर मुहकमलु । हिजो विहरणं । सोहि जोव्वणु सालिंगियउं । यह जो विलीसहिउ । [85 20 के उत्कीर्ण रूपों से जो अंकित है, जिसमें कल्पवृक्षों से उत्पन्न पत्रावलियों का बंधा हुआ तोरण शोभित है, जो इन्द्रनील मणियों की किरणों से काला है, जो सूर्य और चन्द्रमा की किरणों का निवारण करने वाला है, जो तेज से युक्त है, जो आकाश में चमकने वाले क्रांति से युक्त प्रहरणों की शोभा को धारण करने वाला है; स्वर्ण से पीला, अग्नि के द्वारा प्रदोप्त के समान जो दिशापथों को रंजित करने वाला है, कीर्ति रूपी लता के फूल के समान जो दशानन रूपी भ्रमर के द्वारा मान्य है, ऐसे उस वेगशाली विमान को खोटी बुद्धि वाला वह रावण वाराणसी ले आया । घसा - उसने वहीं वन देखा तथा एक ओर सीता का यौवन देखा रावण, श्रम और संयोग में विचक्षण विधाता का चिंतन करता है । 7. A सीहीर । B. AP "घिबुम्भूय । 9 Pomits सुसीयं । 10. A धीरेण । ( 2 ) 1.A मणिणीलगलू | (2) जिसमें नील मयूर नाच रहा है, वन ऐसा दिखाई देता है, सीता का यौवन मन रूपी मत्स्य के लिए लोहे के कांटे वाला है। वन निर्मल भरे हुए सरोवरों वाला दिखाई देता है, सीता का यौवन मधुर स्वर वाला दिखाई देता है। वन प्रवह्नशील जल वाला दिखाई देता है, सीता का यौवन श्रेष्ठ मुखकमल वाला है। बन सुर लजागृहों वाला दिखाई देता है, सीता का यौवन बिम्बाधरों वाला है। वन भ्रमरों से आलिगित दिखाई देता है, सीता का यौवन लक्ष्मी से आलिंगित है। वन प्रचुर तिलक वृक्षों से युक्त दिखाई देता है, सीता का यौवन बलभद्र के लिए
SR No.090276
Book TitleMahapurana Part 4
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages288
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size7 MB
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