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महाकवि पुष्पदन्त विरचित महापुराण
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विज्जाहरि तारुण्णें लज्जिय । सा चंदहितेत्यु आवेष्पिणु । afa संकइ तिल उल्लउ देती । एएं णं महुं हासउ दिज्जइ । ia aisa gणिय संक्रिय । जूर कि प प हेप्णुि । उब सिगोरितिलोत्तम रंभ' । पुरिसहं वम्महल्लि व ढुक्की । दुक्करु रामणु' जोइवि जीवइ । रिद्धि विद्धि तहु तहु जि धरिती । धष्ण पुष्णवंतु जग राहउ ।
ras सीयसुरू' णिज्जिय तहि अवसर कंचुई होएप्पिणु जोय' सीय पसा हिज्जती भालयलहु कलंकु परि किज्जइ काविण बंधइ मोतियकंठिय कावि कोइ पत्त, लिहेपिणु चितइ यरिमाणणिसुंभहं रूसीयाए वि गुरुक्की हाहाह पिसाब जासु एह कुलहरि कुलउत्ती for होस" जितमहाहउ छत्ता -- जरधव लियकेसह कंपिरसीसइ मायारूयें भावियरं ॥
मणहणवियहइ" खेयरिवुड्ढइ " तरुणीयणु पसावियउ ॥18 ॥
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ताहि एक्क भइ तृवरणी हलि हलि कंचुई काई णियच्छसि
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काहुं किं कारण अवणी 1 fiffer इब अच्छसि ।
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उस अवसर पर सीता के रूप से जैसे पराजित हो कर तथा तारुण्य से लज्जित विश्वाधरी वह चन्द्रनखा वहाँ आकर सीता को प्रसाधित होते हुए देखती है। कोई तिलक देते हुए शंका करती है कि इससे (तिलक देने से ) मुझे लज्जा आती है। कोई उसे मोतियों का कंठा नहीं बाँधती । 'द्वारा आहत उसके कण्ठ को देखकर निश्चल हो जाती हैं। कोई गाल पर पत्ररचना लिखकर प्रभा प्रभा को देखकर पीड़ित हो उठती है। वह विद्याधरी चन्द्रनखा विचार करती है कि मान को नष्ट करने वाली उर्वशी गौरी तिलोत्तमा रंभा आदि के रूप से सीता देवी महान् है, और यह पुरुषों के लिए, काम की मल्लिका के समान आई है। हा हा ह्त भाग्य प्रजापति, तुमने क्या किया ? इसको देखकर रावण का जीवित रहना कठिन है, जिसकी ऐसी कुलपुत्री कुलगृहणी है, उसी की ऋद्धि, वृद्धि और धरती है। निश्चय हो वह महायुद्ध का विजेता होगा। राघव विश्व में धन्य और पुष्यवंत हैं ।
धत्ता - बुढ़ापे से जिसके केश धवल हैं, जिसका सिर कांप रहा है, जो मन चुराने में चतुर है, ऐसी उस विद्याधरी वृद्धा ने मायावी रूप बना लिया और उसने तरुणी जन को हँसाया । (19)
उस अवसर पर वहाँ एक राजरानी कहती है कि तू कौन है, और यहाँ किसलिए आई है, हे कंचुकी तू क्या देखती ? बोल-बोल लिखित हुए के समान क्यों है ? यह सुनकर वह मायाविनी
( 18 ) 1. सीयारू वें; P सीयासुरूवें। 2. A चंदणचि । 3. P जोइय । 4. AP कंठु । 5. AP पिह्नवी यि । 6. AP हिप पिहेष्पिणु। 7. A उन्भसिगोरी P उब्बसिमीणी । 8. AP किपरं । 9 A रावण । 10. A कुलहर । 11. A होस तहि जि महाजन | 12. A °विसढहे । 13. P खेरवुड
( 19 ) 1 A णिरदण्णी; P शिव रण्णी ।