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थिई सुहास ए
महापुराण आउसेस | पढमदीवए । रहमंडणा । कोसला । पुण्ण सिहो ।
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धरियजीव astखंडणा अथ सुहयरी रिसहकुलरुहो तस्स इथिया चारुहारिया भवणलच्छिया णिसिविरामए पेच्छए हियं गलियमयजलं कुंदे पंडुरं हरदारुणं
णाम संवरो । साहित्थिया । सुइरीरिया । मलियच्छिया । चरमजामए । सिविणमालियं । अमरमयगलं । गोवरं वरं ।
बहुविलासिणी भमररामयं यणपरिणयं हिये तिमिरयं
दुवइरिणं । लिवासिणी । कुसुमदामयं । सिसिरकिरणयं । तरुणेमि हिरयं ।
रमणरसणयं सजलकमलयं रमयैरो रं
मणमिणयं । कलसजुवलयं । पंकयारं ।
मयर भीयरं लच्छ सासणं हरिणलणं मणिसंग
खीरसायरं । हरिवरासणं । फणिणिकेयणं । अवि य हुयवहं ।
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[ ४१.४.४
• अहमेन्द्र की थोड़ी आयु शेष रहनेपर, जीवोंको धारण करनेवाले प्रथम द्वीप (जम्बूद्वीप) में शत्रुका खण्डन करनेवाली, भारतका मण्डन, तथा शुभ करनेवाली कौशलपुरी नगरी थी। उसमें ऋषभकुलका अंकुर, पूर्ण चन्द्रमाके समान मुखवाला स्वयंवर नामका राजा था । उसको सिद्ध करनेवाली (सिद्धार्था) नामकी पत्नी थी । सुन्दर पवित्र शरीरवाली उस भुवनलक्ष्मीने आँखें बन्द किये हुए, रात्रिका अन्त होनेपर अन्तिम प्रहर में सुन्दर स्वप्नमाला देखी । मद झरता हुआ ऐरावत महागज; कुन्दपुष्पके समान श्रेष्ठ वृषभराज; नखोंसे भयंकर गजका शत्रु (सिंह); कमलों में निवास करनेवाली, बहुविलासिनी ( लक्ष्मी ); भ्रमरोंसे सुन्दर कुसुममाला; नेत्रोंके लिए सुन्दर चन्द्र; अन्धकारको नष्ट करनेवाला तरुणसूर्य; रमणकी ध्वनि करता हुआ मोनयुगल; कमल और जलसे सहित कलशयुगल, जिसमें चक्रवाक क्रीड़ा कर रहे हैं ऐसा कमलाकर, मगरोंसे भयंकर क्षीरसमुद्र, लक्ष्मीका शासन सिंहासन, देवोंका विमान और नागभवन, मणियोंका समूह और अग्नि ।
३. A थिय । ४. Preads this line as : पढपदीवए धरियजीवए । ५. AP कोसलापुरी | ६. P सरीरया । ७. A मोलियच्छिया । ८. A चरिमं । ९. Preads this line as : गोवई वरं कुंदपंडुरं । १०. A कमलवासिणि । ११. A णिहियं । १२. A तरुणि । १३. P रमियखेयरं ।