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अंगरेजी टिप्पणियोंका हिन्दी अनुवाद 15. 13 पाउँपियारिपसर---जिसने शत्रुओं की प्रगति रोक दी है। 21. 11 घणवाहणहु-मेघरथका ।
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2. 2a गरुडेण वि जिप्पइ रह ग वियह रसोइया गरुड़के द्वारा भी नहीं जीता जा सकता । 5. 10b जाउसमज डिलमंडिययहि - जिसके स्तन केशरसे सघन रंगे हुए हैं। 7. 9a to 10. 25—यहाँ पूरी धरती और उसके खण्डौंका वर्णन है जो आकशिसे दिखाई देते हैं।
17. 123 पक्खें-पक्षी के द्वारा। इस शब्दको क्या पविखके रूपमें लिया जा सकता है, जो वाद्यात्मक संगीतका एक अंग है।
I.XIII
2. 74 एरादेविर-दूसरी जगह शान्तिको माताका नाम अहरा दिया गया है, उदाहरण के लिए 1.16 और 11 में।
5. 5-6-इन पंक्तियों में उन रत्नोंकी सूची है, जो चक्रवर्ती शान्तिनाथको प्राप्त थे। ___11. 1-7-इन पमितयोंमें शान्तिनाथ और चक्रायुधके पूर्वभवोंका वर्णन है । शान्तिनायकं कुल 12 भष है-श्रीषेण, कुरुनरदेव, विद्यापर, देव, बलदेव, देव, पत्रायुध, चक्रवर्ती, देव, मेघरच, सर्वार्थसिद्धिदेव, शान्ति । 'माई ये नद-आदिला, कुरुमर, विमलप्रमदेव, श्रीविजय, देव, अनन्तवीर्य, वासुदेव, मारक, मेघनाद, प्रतीन्द्र, सहलायुष, अहमिन्द्र, दृढ़रथ ( मेघरपम्राता), सर्वार्थसिद्धिदेव, चक्रायुध ।
I.XIV 1. 7bओ ण करइ करि कत्तिय कवालु-कुन्थु या तीर्थकर, जो अपने हाथमें मानवीकपाल नहीं रखते, और बाषका चमड़ा जैसा कि शिव रखते हैं, इसलिए तोयंकर शिवसे बहुत ऊंचे है।
2 8 वयविहिबजोगु विष्णु वि ण लेह-हाथ पसारे हुए, वह ऐसी चीजें स्वीकार नहीं करते, जो अपनी व्रतनिष्ठाके कारण, के ग्रहण नहीं कर सकते।
8. 10 णियजम्ममासपर्खतरालि-उसी दिन माह और पक्षम, कि जब उनका जन्म हुआ । अर्थात् वैशाख शुक्ल प्रतिपदाके दिन । 26 किसियणक्ख तासिर ससंकि-जबकि चन्द्रमा कृत्तिका नमत्रके संगममें था।
LXV 3. 40 पट्टणु रयणकिरणअइसहयज-रत्नोंकी किरणों के कारण नगर अत्यन्त चमकदार मा । __ 4. 9b-10b वरिसकोटि सहसेण विहीणह-जबकि कुम्थुके निर्वाणके एक हजार करोड़ मर्ष जीत गये।
5. 5 बदहवणुतणु-शरीर बीस धनुष ऊँया था, यद्यपि गुणभद्र तीस धनुष ऊँचा शरीर बताते है;जो अरहको ऊबाईसे तुलनीय है। तुलना कोजिए = त्रिशब्यापसनूरसेषः चारुचामोकरम्यविः-65. 26 मो अधिक सम्भवनीय है।
9. 1-8 ध्यान दीजिए-घर शब्दपर अलंकारिता है।