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________________ -३६१४.१३ कशेयण किरणुभासणाई बिहिं ऊणी सहि दुठिपण मणिमयकुंडलचयगंडु महापुष्पवन्त विरचित दुइ आया इयर ण पइसरंति पुर्व चि सुरसंकेश्पण तंगिसुनिधि मिं अत्थमेण किं रवि उययभाव वि पास किं तद्धि मेहसोह थिरु होइ पण संज्ञारायरंगु विहइ पण काई सुरचाषदंडु काले गिलिये देविंद देव १४ जोयेष सहसह सुण्णासणाई | सुदंसण सोक्कंठिए । रापण पॅलोइडं मंतियोंडु । भणु कारणु तगुरु किं करंति । बोहणबुद्धि विराइण । माहिययथेण । ऐ उल्दाइ ण किं पञ्चलिख दी । फुति किं जम्बुद्द । गड आवs ण सरिसरत रंगु । किं स्वयहुण व मणुय पिंडु । पपत्तिर्हि कहि एव । पत्ता-ता राहु बढियसोहु बाइजलाई पेत्तई ॥ वलपत्तई ओसासित्तई णं गलंति सयवसई ॥ १४ ॥ ५ १० ૪ कर्केतन रत्नोंकी किरणोंसे आलोकित हजारों सूने आसनोंको देखकर भाग्यसे साठकी संख्या नष्ट हो जाने से व्याकुल चित्त, और पुत्रदर्शनके सुखके लिए उत्कण्ठित राजाने, मणिकुण्डलोंसे अलंकृत गालवाले मन्त्रीमुखकी ओर देखा और कहा ) कि दो ही पुत्र आये हैं, दूसरे नहीं आये है। कारण बताओ कि पुत्र क्या कर रहे हैं ? तब पहले के देव (मणिकेतु ) के द्वारा पहलेसे समझाये गये और राजाको सम्बोधन देनेकी बुद्धिसे शोभित मन्त्रीने कहा - "हे महिलाओंके स्तनको चुरानेवाले राजन्, क्या उदय होनेवाले सूर्यका अस्त नहीं होता ? क्या जलाया हुआ दीप शान्त नहीं होता ? मैत्रोंकी शोभा बिजली क्या नष्ट नहीं होती ? क्या जलके बुदबुदोंका समूह नहीं फूटता ? सन्ध्यारागका रंग स्थिर नहीं होता ! नदी और सरोवरको गयी हुई लहर वापस नहीं आती ! क्या इन्द्रधनुष नष्ट नहीं होता ? क्या मनुष्य शरीर विनाशके मार्गपर नहीं जाता ? देवेन्द्र और देव महाकालके द्वारा निगल लिये जाते हैं ?" इस प्रकार प्रच्छन्न उक्तियोंसे मन्त्रीने कहा । पत्ता- तब जिसका शोक बढ़ गया है, ऐसे राजाके अश्रुजलसे गीले नेत्र इस प्रकार गल गये मानो ओससे गीले चंचल पत्तोंवाले कमल हों || १४ || ; १४. १, A जोइदि सहास सुण्ण p बबलोदवि सुदसुष्णा । २. A सुबक्कंठिएण P " मोड स्कटिएन । ३. A पलोय; P एलोबिउ | ४. ते महिवह महिलहिपर्य; P हे महिवर महिलहित्रययेण । ५. A अश्व । ६. P उयणभाव । ७ A जलपुरवषोष but glos बलबुद्ध । ८. A गलिय । ९. A यतत्तिि
SR No.090275
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages522
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size15 MB
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