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________________ महापुराण [ ५९. ६. ६थुणइ थुणंतु गहीरझुणि जय परममुणि । धम्म ण णयलि गिरिगुहिलि । ण धरणियलि। धम्मु ण पहाणि ण प्राणि तुहुँ जि धम्मु जिणधम्ममा कयजीवदउ। णरयपडतह दिण्णु करु तुहुं दुरियहरू। हेम तुहं संकर परमपरु तुहूं तित्थयरू। बुद्ध सिद्ध तुहुं मैह सरणु यजरमरणु। जिह मणु धावइ णारियणि लत्तुंगणि। जिह मगु धायइ भवणि धणि णियबंधुयाणि । १५ तिह जइ धावइ सुद पयह गयभवभयहं । तो संसारि संसरइ ण हवाइ मर। जाइ जीउ तिहुवणसिरह तहु सिवपुरहु। एम्ब थुणेवि पुरंदरिण धोणासरिण। समवसरणु णिम्मि उ विउलु तहिं जीवउलु । धम्मचक्कपहुंणा जिपिण संबोहिया। २० इंदियविसयकसायवसु सुणिरोहियर। पत्ता-तहु वजियछम्महु देवहु धम्म तवभरधरदढयरभुय ।। चालीस मणोहर जाया गणहर बिहिं गणणाहहिं संजय ॥६॥ उत्पन्न हो गया । इन्द्र तुरन्त देवजनोंके साथ आया । स्तुति करते हुए गम्भीर ध्वनि वह कहता है-"हे परममुनि, तुम्हारी जय हो। धर्म न तो आकाशतलमें है और न गिरिगुहामें। धर्मन स्नानमें है और न पशुओंके खानेमें, और न मदिरा पीने में | जीवदया करनेवाले जिनधर्ममय साप धर्म है, नरकमें गिरते हुएके लिए तुमने अपना हाथ दिया है, तुम पापका हरण करनेवाले हो, तुम शिव-शंकर और परमश्रेष्ठ हो। तुम तीर्थकर हो; तुम बुद्ध-सिद्ध मेरी शरण हो, ज़रा और मृत्युका नाश करनेवाले हो। जिस प्रकार मन ऊँचे स्तनोंवाली स्त्रियों में जाता है, जिस प्रकार मन दौड़ता है, भवन-धन और अपने बन्धुजनमें उसी प्रकार यदि वह भवभयसे रहित तुम्हारे चरणों में दोड़े तो वह संसारमें परिभ्रमण न करे, न पैदा हो और न मृत्युको प्राप्त हो, और जीव त्रिभुवनके सिरपर स्थित शिवपुरमें जाता है।" वीणाके स्वरमें इस प्रकार जिनकी स्तुति कर इन्द्रने विशाल समवसरणकी रचना की। उसमें धर्मचकके स्वामी जिनभगवान्ने जीवकुलको सम्बोधित किया। इन्द्रियों और कषायोंकी अधीनताका उन्होंने विरोध किया । ___घता-वहाँ उनके छह मदोंसे रहित, धर्मनाथ देवके तपका भार उठानेमें बढ़तर भुजावाले, विभिन्न गणनाथोंसे युक्त चालीस सुन्दर गणधर हुए ॥६॥ ४. A पपुवहणे । ५. P hay तुई before हरु । ६. A मह सुमणु । ७. F omits this life. ८. A घावह भदणि वणिः P घावह णियभवणि धणि । ९. P तिथि। - -- -
SR No.090275
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages522
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size15 MB
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