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________________ १८८ १० महापुराण [५६. ८. १०ता चवइ उविदुप्पण्णरोसु दक्खालमि तद् असिवर विकोसु । जइ लोहिल णस पायमि पिसाय तो छित्ता लइ मई धम्मपाय ! का दूयहु मुहे गीसारय पाय जिह जंपइ तिह को धिवइ धाय । घत्ता-कहजोग्गइ महिलहुं अमगइ सयलु वि गजइ णिययघरि । जससंगहि जीविणिग्गहि विरल पहरइ संगरि ॥७) दुबई-एम्न चवंतु दूल गज रायहु कहिया तेण वइयरी ।। देव ण देइ कप्पु वसुहासुट गलगज्जइ भयंकरो ।। ता वासुपचस्स पडिवासुएक्स्स। दुंदुहिणिणायाई रणभूमिआयाई। संणाबद्धाई गिद्दयई कुद्धाई। सेण्णाई जुझंति वीरेहिं रुझंति। खग्गेहि छिजति कौतेहि भिजति । वम्माइं लुम्मति रत्तेण तिम्मति । चम्माई फुटृति अट्टियई तु ति । चूदाई विडंति मंडलिय णिवति । अंतेहिं गुप्पंति खेयर समापति । वढंससमरट्टि गयतसंघटि। गरुलेस महुराय उक्खिर णाराय। चिरवइरियालग्ग धणुधेयकयमग्ग। क्यों रोका? युदभावके दोषको छोड़ो, अपने स्वामीके सब धनको भेज दो।" तब उत्पन्न रोष नारायण कहता है-"मैं उसे कोश ( म्यान ) रहित तलवार दिखाऊंगा, यदि मैंने उस लोभी पिशाचका पतन नहीं किया, तो लो मैंने बलभद्र धर्मके पैर छुए ?" इसपर दूतके मुखसे यह बात निकली कि जिस प्रकार कोई बात करता है, उस प्रकार वह आघात कहीं दे पाता है ? पत्ता-कथाके योगमें { प्रसंगमें ) अपने घरमें महिलाओं के आगे सभी गरजते हैं। लेकिन जिसमें यशका संग्रह और जीवनका निग्रह है, ऐसे युद्ध में विरला ही प्रहार कर पाता है | mmamarimmmmmm इस प्रकार कहता हुआ दूत चला गया। उसने सारा वृत्तान्त राजासे कहा कि हे देव, वह कर नहीं देता । पृथ्वीरानीका बेटा भयंकर गरज रहा है । तब वासुदेव और प्रतिवासुदेवकी सेनाएँ बामने-सामने आ गयीं। उनमें नगाड़ोंको ध्वनि हो रही थी, दोनों युद्धभूमिमें उपस्थित थीं, अवचोंसे सन्नद्ध थी, निर्दय और क्रुद्ध थीं। सेनाएं लड़ती हैं, वोरोंके द्वारा अवरुद्ध कर लो जाती हैं, खड्गोंसे खण्डित होती हैं, भालोंसे भिदती हैं, कवच लुप्त होते हैं, रक्तसे आर्द्र होते हैं, चर्म फूटता है, हड्डियां टूटती है, व्यूह विघटित होते हैं, मण्डलाकार सेनाएँ गिरती है, मौतोंसे उलझते हैं, विद्याधर समर्पण करते हैं । जिसमें गजदन्तोंका संघटन है, ऐसे उस बढ़ते हुए समरमें, जो ८. १. AP तुटृति । R. AP फुटुंति ।
SR No.090275
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages522
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size15 MB
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