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महाकवि पुष्पदन्त विरचित दंतमुसलजुयले पेल्लावमि एम हस्थि हर तहु रणि दावमि । रायत्तणु महुं पुणु संकरिसणु अह व करइ पियवंभु सुदरिसणु । अण्णु राज जइ होइ कुसुंभा अपणु राउ संझापारंभइ । अण्णु राज अहरहतंयोलें अण्णु राम लिंदमि करवालें । हएं किं घेप्पमि अपणे राएं ता पडिजंपिङ सारयराएं। धत्ता-हरिकरिभलोहियकयछडइ दृय ण बडिमें बोल्लमि ||
रणरंगि दुविट्ठहु अट्ठियई पिट्ट करेप्पिणु घल्लमि ॥१२॥
दुबई-एम भणंतु चलिउ हयगयरहणरभरणेमियधरयलो ।।
यसंगामतूरबाहिरिय दिसबहलुच्छलियफलयलो। हरिखुरखयधूलीरयछाइषु दस दिसु खंधावारुण माइल | थिउ वारावइणियडउ जावहिं णिग्गय सज्जणहरिमल तावहिं । सकरि सगरुडचिंध रहसुब्भउ सहरि गिरिदधीर सुमहाभड । गयमलधवलकमलकललणिह कायतेयणिज्जियखयसिडिसिह । खयरणरामरसेवियपयजुय दंतिदताणम्मूलणखममुय।
रयणमालकोत्थुइजलयरधर सीरसरासणसुरपहरणकर । होकर यह नहीं कहता कि मैं वशमें हो जाऊँगा, हाथमें धनुष लेकर हाथी के ऊपर पहुंचूंगा। दाँतके समान मूसलयुगलसे उसे प्रेरित करूंगा, इस प्रकार मैं उसे युद्ध में हाथी दिखाऊँगा । राज्यत्व तो केवल मेरा बलभद्र करेगा, अथवा फिर सुदर्शनीय प्रिय ब्रह्म करेगा । यदि कुसुम्भ वृक्षमें दूसरा राग ( रंग ) होता है, यदि सन्ध्याके प्रारम्भमें दूसरा राग होता है, यदि पान खाने से अधरोपर दूसरा राग होता है। इसी प्रकार यदि मेरा अन्य राग ( राजा ) होता है तो मैं तलवारसे उसे काट दूंगा। क्या में दूसरे राजाके द्वारा ग्रहण किया जाऊँगा?" तब तारक राजा कहता है
पत्ता-"हे दुत, मैं बड़ी बात तो नहीं करता, परन्तु जिसमें घोड़ा, हाथी और योद्धाओंके द्वारा लाल-लाल छटा की गयी है, ऐसे रण रंगों में द्विपृष्ठकी हड्डियोंको पोसकर फेंक दूंगा" ||१||
इस प्रकार कहता हुआ जिसने घोड़ा, हाथी, रथ और मनुष्यों के भारसे धरतीको नमित कर दिया है, ऐसा वह चला। युद्धके नगाड़ों के आहत होनेपर दिशाओंको अत्यन्त बहिरा बनाता हुआ कलकल शब्द होने लगा। धोड़ों के खुरोंसे आहन धूलरजसे आच्छादित सैन्य दसों दिशाओंमें कहीं भी नहीं समा सका । जबतक वह द्वारावतीके निकट ठहरता है, तबतक सज्जन नारायणका सैन्य बाहर निकला, हाथियों, गरुड़ध्वज चिह्नोंके साथ और हर्षसे उद्भट; और अश्वों के साथ । गिरीन्द्र के समान धीर मलरहित घवल कमल और काजलके समान, शरीरकी कान्तिमे प्रलयाग्नि को माझाओंको जोतनेवाले, जिनके पैर विद्याधर, नर और देवों द्वारा पूजित हैं, जो महागजों के दांतोंको उखाड़ने में सक्षम बाहुओंवाले हैं; जो रत्नमाला, कौस्तुभ और शंख को धारण करनेवाले
४. AP पिउबंभु । ५. AP विगणामि | ६. A तारायराए । ७. AP वहिन । १३.१. APए,विर्य । २. A समहाभ ।