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________________ विक्रमणिका स्वप्नफलकथन, सुषाका गर्भ में अवतरण (१०७), बालक्रीड़ा, भोगमय जीवन, उल्कापात देखकर विरक्ति (१०८), दीक्षा कल्याण (१०९), देवेन्द्र द्वारा स्तुति (१०९), केवलज्ञान की उत्पत्ति, जिनका उपदेश (११०), निर्वाणलाभ (१११ ) । पैंतालीसवों सन्धि: पद्मनाभ तीर्थंकर का वर्णन ( ११२-१२४) । छियालीस सन्धि: चन्द्र स्वामीका वर्णन (१२५-१३७) तक 1 तालीसवीं सन्धि : पुष्पदन्तका वर्णन (१३८-१५२) । अड़तालीसवीं सन्धि : शीतलनाथका वर्णन (१५३-१७२) । उनवासवीं सन्धि: श्रेयांसनाथका वर्णन (१७३-१८४) । पचासों सन्धि : अश्वग्रीव और त्रिपृष्ठ वासुदेव और बलदेवकी उत्पत्ति (१८५-१९५) । इक्यानवों सन्धि : त्रिपृष्ठ द्वारा सिंहमारण और कौटिशिलाका उद्धार (१९५-२११) । बावनी सन्धि : fight असे भिड़न्त ( २१२०२४१ ) । नवों सन्धि : वासुपूज्य का वर्णन (२४२-२५३) । starai सन्धि : त्रिपृष्ठ और तारक के परि वर्णन (२५४-२७१) । पचनसन्धि : विमलनाथका वर्णन (२७२-२८१) । छप्पनव सन्धि : भीम और स्वयम्भूकी भिड़न्तका वर्णन ( २८२-२९१) । [1] **** ⠀⠀⠀ BFFF 100 pacl ४१ ११२-१२८ १२५-१३७ १३८- १५२ १५३-१७२ १७३-१८४ १८५-१९५ १९६-२११ २१२-२४१ २४२-२५३ २५४-२०१ २७२-२८१ २८२-१९१
SR No.090275
Book TitleMahapurana Part 3
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages522
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size15 MB
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