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को देश मह पुत सा भइ सुपुरो तो कुण सह
धम्मागुरापण जरमरणभयहरई यह रया तेहिं विया से सुयंती सिविम्मि सुँईईइ करिसी सिरि चंदु
महापुराण
बत्ता – घरपुत्तास लक्ष्यहु तेण वि तह परियाणि
सब्जेणगण मणनयणिय पण arrest बेन्लि व लैलिड व देविहि गभालंकरिडं कंहिं विनउ संतोस देविहि पासि गए
गुणरयण संजुत्तु । जइ महसि सुयलाहु | जिणणा असे |
तं सुणिचि राष्ट्रण | पढिमा जिणवर | कलहोयमइया |
खीरेहिं हविया महरायपत्ती | छम्म राई | दिविहारं ।
arras जाइवि दयहु || दंसणफलु बक्खाणिडं ||२||
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तु सुंदेर होस पियतणव । लायबलजल बिच्छु लिए । ओलख देहेचिंधु तुरिडं ! a fores हरि विष्फुरिडं । णं वणगणियारहिमतगड |
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करता है - या करूँ, कहाँ जाऊँ ? किस देव की आराधना करूं, कौन मुझे गुणरत्नसे युक्त पुत्र देगा ? सब सुपुरोहित ने कहा कि यदि तुम पुत्र-लाभ चाहते हो तो शुभके हेतु जिननाथका अभिषेक करो । यह सुनकर राजाने धर्मके अनुराग से जरा और मरणके भयका अपहरण करनेवाले जिनवरोंकी रनोंसे रचित स्वर्णमयी प्रतिमाएं बनवायीं । मन्त्रोंसे उनकी स्थापना की और दूधसे अभिषेक कराया। महीराजको सुभगा पस्नीने सुखपूर्वक सोते हुए, रात्रिके अन्तिम भाग में हाथी, सिंह, लक्ष्मी और प्रभासे बहुल चन्द्रमा देखा ।
छत्ता — उसने जाकर श्रेष्ठ पुत्रको आशासे पति से कहा। उसने भी उसे बताया और स्वप्नदर्शनके फलकी व्याख्या की ||२||
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हे सुन्दरी, तुम्हारे सज्जनसमूहके मनमें प्रणय उत्पन्न करनेवाला प्रिय पुत्र होगा । कुछ हो दिनोंमें देवीका ताके समान सुन्दर लावण्यके अत्यधिक जलसे विच्छुरित शरीर, गर्भसे अलंकृत हो गया। शरीर चिह्नको देखकर कंचुकीने जाकर राजासे कहा । उसका हृदय हर्ष से विस्फुरित हो गया । सन्तोषके साथ वह देवीके पास गया, मानो वनथिनी के पास मतवाला गज गया हो। उसके
२. AP सुहं सुती । ३. A सुसईछ । ४. P पच्छमि । ५. A चंडु and gloss सूर्य: । ६. A बिहोरंडु and gloss चन्द्रः । ७. A सिविणय फलु ।
३. १. A सज्जणगुणगणपयनियपणच P सज्जणजणमणपणिउ पणव । २. AP होसह सुर । ३. A ललिय । ४. A विच्छुक्रिय । ५. P देहि सिंधु । ६. पासु ।