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४३. १२.४ ]
महाकवि पुष्पदन्त विरचित
णमो बुहराम णभो विराम णमो गिरिधीर णमो गयसीर मणियमाल सुपंकयमाल फलाई संतु जलाई रसंतु पण जे तवसी अहो मुणिसीह तु सुमरंति भवेसु मरंति पणासियसासय संपचमूलु कुसंगु कुलिंग सामि कुदेउ वियंभर पाणविलोयणसत्ति
णमो गुणथाम मोमियथाम । णमो यमार णमो धुवमार । कैसी महाकरील ।
लाई बसंतु वणमिव संतु । परत्तसिरीह णिरीस गिरोह |
ते सुद्दि होंति मृगेसु हि होंति । महं तु धम्मसिरीपढिकूलु । कुपति कुमित्तु म जम्भ विशेउ । सुणिश्चल होत तुहुपरि भति ।
पत्ता - णिव्वाणभूमिवररमणिसिरिचूडामणि पदं वर्णमि || पिसाएं विडियउ अप्पर हूँ तगु मण्णमि || ११||
धुपेपणु एम गुणोहु जिणेसु उभय सोडियम fe दारेs गोवरयाई सुपायवे लिहेराई
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तओ वियसेहिं कओ वहु वासु । हिसारखराव इयमंदिरया । थूह दिoiघराई ।
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( मुनि) और ज्ञानवान् आपकी जय हो । पण्डितोंके लिए आपको नमस्कार, अधोंका नाश करनेवाले आपको नमस्कार हो, गुणोंके घर आपको नमस्कार, हे अनन्तवीर्थं आपको नमस्कार । गिरिकी तरह गम्भीर और हल रहित आपको नमस्कार, कामको जीतनेवाले आपको नमस्कार, ध्रुव लक्ष्मीदायक आपको नमस्कार, नियम सहित आपको नमस्कार, कमलोको मालासे शोभित आपको नमस्कार, जिन्होंने सुशील मुनियोंको अपने चरणों में नत किया है ऐसे महागजकी लोला करनेवाले आपको नमस्कार । जो तपस्वी फल खाते हैं, जल पीते हैं, दलोंमें रहते हैं, वन में निवास करते हैं, ऐसे तपस्वीश्रेष्ठ भी, यदि हे निरीह निरोश मुनीश्वर, तुम्हें स्मरण नहीं करते, तो वे जन्म-जन्मान्तरों में मरते हैं, वे पण्डित भी नहीं होते, पशुओंमें उनका जन्म नहीं होता। जिन्होंने शाश्वत सम्पत्की जड़को नष्ट कर दिया है और जो धर्मरूपी लक्ष्मीके प्रतिकूल है, ऐसा कुसंग कुलिंग कुस्वामी कुदेव कुपत्लो कुमित्र मेरा किसी भी जन्ममें न हो। मेरी ज्ञानसे देखनेकी शक्ति बढ़े (विकसित हो), तुम्हारे ऊपर मेरी भक्ति निश्चल हो ।
घत्ता – निर्वाणभूमिरूपो श्रेष्ठ रमणीके सिरके चूड़ामणि हे देव, मैं तुम्हारा वर्णन करता हूँ | काव्यरूपी पिशाचसे प्रताड़ित में जड़ स्वयं तिनकेके बराबर समझता हूँ || ११||
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इस प्रकार गुणों के समूह जिनकी वन्दना कर, उस समय देवोंने उनके निवासको रचना की। चारों दिशाओं में खम्भे स्थापित कर दिये गये। चारों ओर सारसोंके शब्दसे युक्त जल था । चारों ओर दरवाजे और गोपुर थे। चारों दिशाओं में चैत्य और मन्दिर थे। चारों ओर वृक्ष मोर
३. P कधिं । ४. A मिनेसु मगेसु 1 ५० A "सिरलामणि । ६ मण्ामि । ७. A त ह । १२. १. P दाबि । २. A बेल्लिबार ३ A दिव्यराई |