SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १९. १३. ११] हिन्दी अनुवाद जो तुमने बैलोंका गण देखा है उससे एक भी श्रमण विचरण नहीं करेगा 1 यति लोग दुषमा कालको गति जानकर समूहमें विचरण करेंगे। जो तुमने स्वप्न में दिनकर-मण्डलको ढंका हुआ देखा है, वह मेघोंसे अन्धकारमय है, और केवलज्ञान सामनेसे हटा लिया गया है; और जो तुमने सूखा पत्र-पुष्प-फलरहित वृक्ष देखा है वह नर-नारियोंका दुश्चरितका भार है। पुत्र पिताके वचनोंका उल्लंघन करनेवाले होंगे। स्त्रियाँ दूसरेमें रति करनेवाली होंगी। दूसरे लोग कुछ मी क्रिया हुआ सहन नहीं करेंगे, कुमारीपुत्र दीन और खल घर-घरमें होंगे। मित्र देर निकालनेवाले होंगे। पीपल, बबूल और खदिर (खैर) वृक्ष होंगे एकदम विरस। मुनि भी कषाय बांधनेवाले होंगे।" पत्ता-जैसे-जैसे भुदायमादि जिनःहते. जर गवत समर्पित करते हैं, वैसे-वैसे भरतमें अन्धकार नष्ट होता है, और कुन्दपुष्पके समान उनके दांतोंको कान्ति दसों दिशाओंमें प्रसरित होती है ॥१३॥ इस प्रकार त्रेसठ महापुरुषोंके गुणालंकारोंगाळे इस महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित एवं महामण्य भारत द्वारा अनुमत महाकान्यका भरतविनय और संशयोरछेदन नामका तीसवाँ अध्याय समाप्त हुआ ॥१५॥
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy