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१९.१२.१०]
हिन्दी अनुवाद
हे पुत्र, ये ब्राह्मण इस प्रकार होंगे। स्यूल बांहोंवाले तूने इनका निर्माण क्यों किया ?" आदरणीय जिन पुनः कहते हैं--"मैं छिपाकर कुछ भी रतूंगा नहीं । स्वप्नावलिका फल भी कहता हूँ, सुनो। तुमने जो तेईस सिंह देखे, मैंने जान लिया कि वे जिनवर देखे हैं, जो खोटे सिद्धान्तों और खोटो संगतिकी मलिनताओंसे व िऔर धर्म निलो डापित करने का है। जो तुमने जम्बूक सहित नष्टमद सिंहशावकको देखा है वह तुमने अन्तिम चौबीसवें तीर्थकरको देखा है जो कामुक और खोटे लिंगधारियोंका आच्छादन करनेवाले हैं। और जो तुमने भारसे आहत भग्नपीठवाले जाते हुए अश्यों और गजोंको देखा है, वे भवरूपी कीचड़को हरण करने. वाले अन्तिम मुनि है, जो चारित्रके भारको धारण नहीं करेंगे: तुमने जो जीणं पत्रपटल देखा है, वह यह कि धरणीतल नीरस हो जायेगा। जो तुमने गजोंपर आरूढ़ वानरोंको देखा है, उससे राजा खोटे कुल और खोटी मतिके होंगे । और जो तुमने उल्लुओंमें हुआ युद्ध देखा, उससे लोग बहुत-से नयोंमें लीन हो जायेंगे। जो तुमने भूतोंका नाचना देखा, उससे खोटे देवोंको पूजा की जायेगी।
__घत्ता-जो तुमने बीच में असुन्दर और सूखा सरोवर और किनारोंके अन्तमें जल देखा, उससे हमारा उपशम करानेवाला धर्म धरती के किनारों पर होगा ॥११॥
१२
जो तुमने धूलघूसरित मणिरत्न देखे, वे मलसे सहित मुनिकुल हैं, पांचवें कालमें ये ऋद्धियोंसे रहित स्वेन्द्रिय चेतना (विद्या ) वाले होंगे। और जो तुमने कपिलको पूजित होते हुए देखा बे विट सुख-लम्पट और कुटिल जन हैं। जो गुरु तरुणीजनमें आसक्त हैं वे लोगोंमें पूजाके पात्र होंगे। हे राजर्षि, जो तुमने स्वप्न में नूपकुल कुमुदचन्द्र देखा और जो कलकण्ठध्वनिवाले तरुण बैल देखे, उससे तरुणजन मुनि होंगे, जैसे-जैसे बुढ़ापे में शरीर परिणत होगा, वैसे ही वेसे लोगोंमें भारी धनाशा होगी। दुषमा कालमें मुनि लोग तृष्णाके साथ मरेंगे यह मेरा ध्रुवकथन है।
अत्ता-और जो तुमने दुष्ट फलदायी चन्द्र परिवेश देखा है, वह हे नवनूप, कलिकालमें शिष्यों सहित मुनियोंका मनःपर्ययज्ञान और दूसरा अवधिज्ञान होगा ॥१२॥