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महापुराण
{ ३३. ८.७
कण्णउ गयाउ कोलवि समत्व सा पियवयंसि मणियावि पत्त । अवलोयचि रिउसेणावियार बालइ अईसागु किव कुमारु । हि सोल्यु कम : अण्णाणिएहि सव्वण्हु जेन । यत्ता-नुचाइवि परिहत्थु अहिणवर्कघणघण्णइ ।
पुवुत्तइ जिणगेहिं वरु संणिहियउ कण्णइ ॥८॥
करिणि व्य कहिं वि कोलीवणासु गय सुंदरि णिययणिहेलणासु । णियहओहामियचंदकति पेच्छंतउ फलिहसिलायलंति । धरणीसुताइ मुद्दाइ रहिउ ण कामु कामकामिणिहि कहिल। अवलोयवि बप्पिल सालपण परियाणि उग्णयमालपण । इहु सो परिंदु गुणपालतणउ जो पगइणीहिं संजणियपणउ | जो गिजइ देवेहि धरिवि वेणु जो दुस्थियमवणकामधेणु । णं पलइ समुमाउ धूमकेत इय चिंतिवि धाइउ धूमकेउ । जिणपंगणाउ रायाहिराउ उक्खिउ गरुडे जाई जाउ । णि रिउणा उसिरावइसमीवि कालइरिहि पबियणीलगीवि । कालनखगुहहि कालाहिवासि घिसट हरिवाहिणिसेन्जदेसि । बत्ता-दाहिणदवारभि खयकालेण विर्वजिउ ॥
सेज्जहि णाहु णिसण्णु कालभुयंगें पुज्जिउ ॥९॥
उसिरावइपुरवरि हेमवम्मु तहु भिचाहिं भासिड तासु कम्मु । जिह धडिर सेजि जिह णविष णाट जिाणिग्गड पत्तड धूमकेउ । जिह णिउ णरवइ अण्णत्व झत्ति सिह केण वि ण मुणिय पुण वि थत्ति । विह णिसुणिवि उसिरावइपुरेसु किंकरई कुइड किं कियउ दोसु ।
उ रक्खिउ किं आएसपुरिसु किं आउंघिउ महु होंतु हरिम् । तावेत्तहि रइसुहलुद्धरण
वप्पिलमेहुणएं कुद्धएण। चंदरि णिसिहि वमजालपीलि पेयालइ पह णिक्खित्तु सूलि । तालिड वग्गे पुणु मोगरेण पुण्णाहिउ णड धिप्पइ गरेण । णस भिउजइ सुले सम्बलेण
ण खज्जइ णा रक्खसकुलेण । पत्ता-पित्तउ जलणि जलंति तहि वि परिहिउ अवियलु ॥
जिणपयपोभरयासु अम्गि वि जायज सीयलु ॥१०॥ ४. B अग्णाणि हिंस व एह जाम । ५. B पुरवत्ता। ९. १. MB णियसुणिहेलणासु । २. MR णियुमुटु ओहाँ । 4. MB गुणवाल । ४. B°सज्वस ।
५. B पंगणाहि । ६. B अश्विग्णउ । ७. MB वाहिणि। ८. MB विसज्जित । १०.१. B कि रविवउ । २. MB सडएण।