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________________ ३३८ महापुराण [ ३२. २६.१ गिरिसरिदरिषणसयई गियंतिह . खयरावासहिं पई जोयंतिइ। दिदी मउलिच्छि लोलती पंधी पंखुडधुलियालेयवती। विजुवेय तुह विरहें सोसिय मरणमणोरह मई मम्मीसिय । जइ सुह पियसंजोत संधमि तो विजाहरपट्ट ण बंधमि। णियभालयलि किसोयरि जाणहि अप्पड मा ललियंगि विमाणहि । भोयषइहि केरी वियलियमय रक्ष्यारिणि सहि तहि जि समागय । सत्ता ताइवयंसिइ दिन अज्जु चंदु णिसि भवणि पइट्ठल । जिग्गड पुणु जाणिउं दुस्सिविणउं जिणपुलच्छव परइ सण्हवणउं । संतिअत्थु सयलहिं सुअरेवर सिद्धकूडजिणणिलइ. करेत्वर । पत्ता-अवरई कपणड्ड अवरउ महिउ अवरहुं वि लेहु मुदइ सहिउ ।। भोयवइहि तुई सहि गवरविय हकारी तुह ह पट्टविय ।।१६।। एम कहेप्पिणु गय सा सुंदरि मणिमयकुंडलमंडियण्णउ सत्तावीस जोयणवत्तउ असणिवेयनयरें वणि चित्तड उच्चाइवि णियपुरचरु णीयउ हई पई दोदियहई जोयंती जाम ताम तेरी वित्थारें एत्थायइ तहुं मई अवलोइउ कंचुइरूड देव मई धरियल जाणिओ सिणेमित्तिकिबंधे धत्ता-इय भरहणरेसरकिंकरहो कह कहइ पुरंधि सुलोणिय हर आरूढी सिरिसिहरुप्परि । दिउ तहिं काणणि छक्कयणउ । भूगोयरियन पिय तुह रत्तठ । मई कारुण्णारण मृगेणेसा । अप्पियाउ गरवालहु धीयउ । अच्छमि खगणयरेसु चरती। कहिय वत्त हरिके उकुमार। मयणे पंचमु सरु मणि ढोइउ ! पिडउल्लाउ कुवलीहलभरियर | कहिय पुंडरिकिणिपुरचिंधे। जयरायहु तिजगभयंकरहो।। वरकुंदपुष्पदंताणणिय ॥२७॥ हम महापुरारे सिसट्टिमहापुरिसगुणाले कारे महाकहपुप्फयंतविरहए महामभरहाणुमषिणाए महाकम्वे विजाहरकुमारीविरहोषण्णण जाम बसोसमो परिच्छेयो समत्ती ॥२॥ संधि ॥१५॥ २६. १. MB दरिपट्टणाई भमंतिह । २. MP मंभीसिय । ३. MB ह तुह । २७.१. MB मिगणेत्तउ । २. MB पंचमसरू । ३. MBT णेमित्तिणिबंधें। ४. MB बिरहदण्णणं । । ५. M3
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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