SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०५ ३१. २३.१०] हिन्दी अनुवाव वह मरकर दो दांतका गधा हुआ, फिर कौआ, फिर चहा, फिर सोड़, फिर दाढ़ोंसे भयंकर सुअर, फिर चाण्डाल और कुमनुष्य । मेरे साथ वह भी नरकबिल में डाला गया। में मरकर नरकबिलमें उत्पन्न हुआ। मन-वचन और कायकी शुद्धिसे जिनधर्मकी भावना की। फिर बकुल नामके चाण्डालने यतिवरकी सेवा की। उन्होंने भी उसकी आयु प्रकाशित की कि उसके सात दिन-रात बचे हैं । असह्य भव-ऋणको हटानेवाले उन सात दिनोंमें संन्यास कर इस समय वह स्पष्ट रूपसे स्वर्ग में उत्पन्न हुआ है । विधिके द्वारा लिखी गयी लिपिको कौन मिटा सकता है ? यह नया देवता तुम्हारा पति है. और लो, वही हमारा नया धर्मगुरु है। धत्ता-सुरदेवकी जो माता थी वह कृशोदरी मरकर इस प्राचीन उत्पलखेट नगरमें-॥२१॥ २२ -श्री धर्मपाल राजाको आनन्द देनेवाली अनिन्दितासे पुषी उत्पन्न हुई। मुनिके दानके फलसे मन्दरमालिनी नामकी वह कन्या अत्यन्त सुशील और विश्वसुन्दरी थी। वहाँ उसके विवाहके अवसर पर निग्रह करनेवाले बन्दीगृहसे हम लोग मुक्त हो गये। रतिसे उत्पन्न सुखकी इच्छा करनेवाली उन चारों यक्षिणियोंने गुरुसे पूछा-"बताओ-बताओ, संसारमें हमारा प्रिय कौन है ?" तब काममदका नाश करनेवाले वह कहते हैं-"जो चाण्डालने संन्यासगतिसे मरण किया है उसका अर्जुन नामका सुमति पुत्र है। जिसके मुखपर सिंह और बाघ दिखाई देते हैं ऐसी सिद्ध शेलको गुफामें वह अनशन कर रहा है। वह तुम्हारे हृदयका हरण करनेवाला सुन्दर वर होगा, कामदेवके समान । पत्ता- मनुष्य शरीर छोड़कर यक्ष-सुरेन्द्र होकर वह तुम्हें प्रगाढ़ आलिान देगा और रोमांच उत्पन्न करेगा" ॥२२॥ - -- - - २३ बकुल चण्डालका वह जीव आया और श्रृंगार धारण करनेवाला अच्युत प्रतीन्द्र हुआ। उसने आकर महान् गुणोंवाले अपने गुरुकी वन्दना की और देवियोंके साथ पुनः स्वर्ग. चला गया। यक्षिणियोंने आकर यशसे उज्ज्वल, सन्यास करते हुए अर्जुनके आगामी पुण्यकी प्रशंसा की और उसे बताया कि वे उसकी स्त्रियाँ होगी। उस अवसर पर वरदत्त नामक वणिक् मनुष्य, अपने हाथ फैलाये हुए देबियोंके पीछे लग गया। वे देवियां अदृश्य हो गयीं। कामदेवके बाणोंसे वह धूर्त क्षुब्ध हो गया, विरहकी विडम्बनाको सहन नहीं करते हुए उसने स्वयंको पर्वतको चोटीसे गिरा लिया। इस प्रकार सेठ नागदत्तका पुत्र मर गया और शीघ्र पिशाचदेवके रूपमें उत्पन्न हुआ। __घला-उसी नगरीमें नयनोंको आनन्द देनेवाला सुकेतु नामका वणिक् पुत्र था। उसको पत्नी वसुन्धरा थी। वह वसुन्धराका पालन करता था ॥२३॥ २-३९
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy