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महापुराण
[३०.१२.१
मिते मित्तहु णियमणु ढोइट जायवि मुद्धडि पर्यणु पलोइट। पक्षणा गरललिगु णो लक्खिई खयर मउलियणयणे अविस्वम् । मंदर जाइवि लहु दिव्योसहि हलं आणमि तुहूं रक्खइ पियसहि । एम कहि वि गड सुंदरु जावहिं सुंदरि शत्ति बट्ठी वावहिं। भणइ ण खेजमि सविसमुयंगें हळू खद्धी पई धुसमुयंगें। जइ मम्मणमंते तणु अंचहि जई रइरसजलधारह सिंचहि । तो हठं मुञ्चमि विरहषिसोहे ता पडिजंपिड पसमियमोहें। पीयलु हरिकारुणिफलु जेहत अंगु वियाणहि मेरउ तेहउँ । वम्महसरहं कयाइ पण भिजमि संदु पुरधिहि ह ण रमिजमि । परकुलउत्ती जणणिसाणी तुहं पुणु जाय विहिणि मित्ताणी। पत्ता-इसेणु वि आयन मंदरहो वणि पुच्छिवि सकलत्तः॥
गंधारणयरु सो अप्पणलं णहि विहरतल पत्तः ॥१३॥
१४ तह पुणु सेहुँ महिलइ वियरंतदु उप्पलखेडहु बाहि गहि जतहु । खलिउ विमाण दिट मुणि श्ववणि बंदिउ भावे दोहि वि तक्खणि । पुच्छिउ धम्म रिसिद भासिउ सायमगु विसेसे देसिउँ । गुणवंतेण सुणिम्मलवाणा तहिं परयारु णिवारित जइणा । परयारिज लोएं णिदिज्जा असिधाराकरवत्तहिं लिज्जइ। तित्ति ण पूर जूरइ सजणु बइ कामडाड पसरइ मणु । लोयणजुयलु बलइ कयणेहउ परयारियहु सोक्खु कहिँ केहज । जइ वि लोउ णियकज्जु पवुक्खइ संकालुहि तं तोसु जि दुक्खइ।। मत्थयमुंटणु विमणिबंधणु
कुखरारोहणु णासाखंडणु। जारु होइ तिहुयणि अपसंसउ मुउ पुणु दुहेस दुछु णसङ । घत्ता-श्य रिसिषयणाई सुणतियए गंधारिहि मणु तप्पा ॥
हा हा मई दुट्टा दुटहु किउ इय णियहियइ वियप्पन ॥१४।।
मण्णिवि मुणिवरु बे दि पयट्टई हयलगिहियपायकंदोई। फंतइ गुरुवयणई चितंतिइ भारयविवरवडण संकतिइ ।
कतहु साई अहिमाणविणासउ कहिउ कुबेरकंतअहिलासउ । १३. १. MB देह ! २. MR गरुलं । ३. MB मजलियवयणे । ४. MB सव्वोसहि । ५. MB खज्जतं ।
६. MB जा रसजलधारहिं मई सिंचहि । ७. MB | काई वि ! ८. MIS माय बहिणि । १४. १. MB महिलाहि सहुं। २. MS सावयधम्मु । ३. MB दंसिउ । ४. MB पवुक्का; T बुक्कइ ___ ब्रवीति । ५. MB तासु खुडुबकइ । ६. M दुसउ । ७. MB तणु । १५. १. BM पहलि णिहियं । २. परयविवरणिघडण । ३. MB विणासिउ ।