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महापुराण सन्धि २९
२३२-२५९ (१) अकोतिका आत्मचिन्तन । (२) मरतको प्रताड़ना । ( ३ ) अकम्पम भरतसे क्षमा पाचना करता है, भरतका नीति कथन । (४) जयकुमार द्वारा ससुरकी प्रशंसा । {५) पुचोकी विदाई। (६) गंगातटपर पड़ाव और जयकुमारका भरतसे जाकर मिलना । (७) जयकुमारको भरत द्वारा विदाई । (८) मगरका हाथोको पकड़ना । देवी द्वारा सुलोपनाकी रक्षा। (९) देवी द्वारा पूर्व भव कपन । (१०) नागिनकी कया। (११) गंगा देवी द्वारा सुलोचनाको स्तुति । विद्याधर जोड़ी देखकर जयकुमारको पूर्वभव स्मरणसे मूछ । (१२) सुलोचना द्वारा पूर्वमव कथन । (१३) पूर्वमव कथन । शक्तिषेण और सत्यदेवको कया। ( १४-१५) पूर्वभव कपन । (१६) धनेश्वरका डेरा गालना । दो पारण मुनियोंको आहारदान । (१७) मेदत्तका निदान । ( १८) मुनि द्वारा पूर्वभव कपन । ( १९) भूतार्थ और सत्यदेवका परिचय । सत्यदेव घर वापस नहीं बाता।। २० शक्तिषेण, नवदमतिको सेठको सौंपता है परन्त शक्तिषेण शोभायरमें बाकर उसे आश्रय देता है।।२१) भवदेव सत्यदेव दमतिको मागमें जला देता है। वे सेठके घरमें कबूतर-कतरो हुए। वे पूर्वभवका कपन करते है। ( २२-२५) पूर्व भव कथन । { २६ ) बूढ़े मन्त्री कुबेरमित्रका उपहास । (२७) वापिकाके पानीका लाल रंग होनेका कारण । ( २८) सुलोचना कथा कहना जारी रखती है ।
सन्धि
३०
२६०-२८५
(1) राजा लोकपाल और वनुमतीका कथानक । ऋषिको देखकर पक्षियोंका पूर्वभव स्मरण । (२) पूर्वभव कथन । मुनि उनके पूर्वभव बताते है । ( ३-१०) पूर्वभव कपन । (११) प्रभावतोके वैराग्य का कारण । ( १२ ) पूर्वभव कपन । विद्याधरीका सरिके काटनेका बहाना । (१३) विद्याधरका दवा लेने जाना । (१४) कुरैरकान्तका विमान स्खलित होना । श्रावक धर्मका उपदेश । (१५) मुनियों के सम्मान पार प्रस्थान । (१६) रतिषेण मुनिकी वन्दगा। (१७)कुबेरप्रियाका दोक्षा ग्रहण करना। ( १८ ) पूर्वभव कथन । ( ११ ) तलवर भृत्यका बायिकासे प्रतिशोध । उसे जला दिया । (२०) प्रजाको करुण प्रतिक्रिया । (२१) स्वर्णवर्मा विद्याधरका बही पहुँचना । (२२ ) मनिको मन्चमा । { २३ ) मालोको कन्याओं द्वारा जैनधर्म स्वीकार करना । ( २४) सुलोचना जयको पूर्वभव मताना जारी रखदी है।
सन्धि
३१
२८४-३११
(१-५) मणिमाली देवका पूर्वभव स्मरण । (७) सुनारकी कया। (८) राषा गुणपालकी कहानी । (९) नवतोरण नाट्य मालोको कपा। (१०) वेश्यासे सेठका प्रेम । (११) बह सेठका अपहरण करवाती है। (१२) हारको घटना । (३) राजा द्वारा दण्ड और सेठ द्वारा क्षमायाचना । (१४) कामरूप धारण करनेवाली अंगूठी । ( १५) प्रतिमायोगमें स्थित सेठकी परीक्षा। (१६) पुरवताका हस्तक्षेप। (१७) सेठका तप करनेका संकल्प । (१८) पूर्वजन्म संकेत । ( २१ ) व्रतधारण । (१९) देव-मुनि संबाद । (२०) मुनिको केवलज्ञान ।