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२५. २२.१५] हिन्दी अनुवाद
१५१ पत्ता-स्थिर, परकार्यमें रत, अपने वंशका ध्वजस्वरूप सज्जन पुरुषकी शरण में कौन नहीं जाता ? सघन अन्धकारके भारका हरण करनेवाले युद्ध में दीप्तिको कोन लांच सकता है ।।२२।।
इस प्रकार प्रेस महापुरुषोंके गुण अलंकारोंसे युक्त महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचिस
और महामव्य मरत द्वारा अनुमत महाकाव्यका वनवाहु वनदन्त
तपश्चरण नामका पचीसवाँ परिच्छेद समाप्त हुभा ॥ २५६