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________________ २२. ५.१६] हिन्दी अनुवाद बार-बार अपने हाथसे चौपकर उस वोरने उस कमलको मसल दिया। फिर बार-बार कोड़ाके साथ उससे खेलते हुए, उसका एक-एक पत्ता तोड़ते हुए राजाने उस कमलको चाहा । खरको दण्डसे नाश करना उसका ( राजाका ) गुम-विशेष था। मैले पत्तोंका समूह जिसके अन्तरालसे हट गया है, ऐसी कमलरूपी मंजूषामें परागरजमें लीन एक निर्जीव भ्रमर उसने देखा, जैसे इन्द्रनील मणि हो। उसे देखकर राजा कहता है-हे सखी, देखो इस भ्रमरने हाथियोंके कानोंके आघातोंको सहा है, मदजलसे गीले कपोलोंपर घूमते हुए और गुनगुनाते हुए, यह दुःखको प्राप्त ___ घत्ता- यह दिशाओंमें उल्लसित होकर चलता है, मुड़ता है, रुव होनेपर अपने कर कहाँ फेला पाता है ? लेकिन रात्रिमें अन्धकारसे ढंके हुए इस कमलमें गन्धलोलुप यह भ्रमर मर गया ।४1 'आरोहण बन्धन ताड़न' और वेदना उत्पन्न करनेवाले अंकुशोंके आघात, और हथिनोके स्पर्शके वशीभूत होकर आता हुआ हाथी, बताओ कौन-सा दुःख सहन नहीं करता। रसका लोभी मासकणोंका लोलुप सामने दौड़ता हुआ मूर्ख मोन, नदीके विपुल जलमें क्रीड़ा करता हुआ धीवरके कांटेसे गले में फैसा लिया जाता है, गाती हुई गोरी अपना चित्त और कान लगाये हुए हरिण नहीं देखता, सामने आता हुआ तीर, विषयोंको आशासे दमित हरिणका जोड़ा खेतके चारों ओर घिरे हुए बागरको नहीं देखता, और प्रायः वनमें व्यापके द्वारा विद्ध होकर निधनको प्राप्त करता है, जिसकी शिखा प्रोषित-पतिकाओंके यांसुओंसे आहत है, जो तिड-तिड-तिड़की ध्वनिसे मुक्त है, जो कोरण्टक पुष्पके समान पीले रंगवाला है, देहलीपर रखे हुए, तथा रूपमें लोन शलभोंका क्षय करनेवाले दीपकके द्वारा कहा गया उसे अच्छा नहीं लगता, इस प्रकार सभी यमके मुंहमें पड़ते हैं । हे सखी, सभी मोहान्ध क्षयको प्राप्त होते हैं। एक-एक इन्द्रियोंके वशमें होनेवाले जीवोंको जब इतना बड़ा दुःख है, तब पांच अक्षरोंके स्वामी ( अरहन्तादि) का स्मरण नहीं करनेवाले, सथा पांच इन्द्रियों का स्वाद चखनेवाले तथा दसों दिशाओंके पथों और धरतीको कंपानेवाले हम लोगोंके दुःखोंको कहने से क्या ? पत्ता-अपने मनमें इस प्रकार विचार कर उसने एक पलमें राजाओंसे प्रशंसनीय अमिततेजको बुलाया । आये हुए उस युवराजने अपने पिताको सिरसे नमस्कार किया ||५||
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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