SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 138
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११८ महापुराण [२४. ८.१ तं णिमुण्णिवि णछोड देषिाणु उहिउ परवइ दर विहसेप्पिणु | गर तहिं जहिं अच्छइ सो बाल पभणइ पहु सुय थिई कि कालउ । आवहि जाम ण होइ वियालय अज्जु जि किजइ तुह पूयमेल । सुण्ह महारी पई कहिं विट्ठी अवर वत्त गरिदह सिट्ठी। गउ कुमारु परिमम सलीलइ दिदृउ पडु आलिहिउ जियालइ । पुषजम्मु तर्हि एण णियन्छिन चिरकताश्यास परिहच्छिन । कामु वि कामरूवि जं पाड ताहि रूउ के कण भमाडइ । पट्टेड लिहियउ हिय वइ लिहियन को तं पुसइ णिडॉलइ लिहिय उ । अबसे होसह णिच विहिविहिर्यउ एम जाम मईबंधे कहियः । सा लहुं पुर्ने समउ कलत्तें सहं सेणेण धर्वलधयछत्ते । वजवाहु सहस सि पधाइउ णयरि पुंडरिकिणि संप्राइजे। रफछसोह पुरि कारावेपिणु लीलइ मत्तकरिदि चडेप्पिणु । धत्ता-आबंतु पहे पहु अद्धवहे पविभुएण जयकारिउ ॥ ___ सो तेण जिद्द देवीइ तिह तिह सुएण'णेदयारित ।।८।। सालउ सस विणि वि जोएपिणु ___णयणहुं केरल फलु पावेप्पिणु । राएं अवलोइयर सस्सीयउ अच्छिउद्देहि रूवरसु पीयउ। पुरणारीयणु काहि मि ण माइड अवरुप्पड चूरंतु पाइल! शिवइहि केर उ सहि धरणीवइ वलबाहु पंहु सो बहिणीवर। जसहरणामहु धीय जिणिदहु एह वसुंधरि बहिणि गरिंदहु । एयहु उप्पलखेडणरेसह विष्णो मुंदरि णिरुवमवेसह । जो सग्गाउ देउ अवयरियल जो सिरिमइवरु जम्मतरियज । इहु सो वजजंधु हलि परवरु एयहु संमुहुँ मई पैसरिय कर । सो षि ण पावइ चित्तु जि पावइ त पावंतु वि तणु संतावइ । पंण सो अणंगु मुणिमणमहु । का वि भणई उच्चायहि मई पिय लंघधि कोटटु पलोयमि वरस्य । ताइ गियतिय रूयु कुमारह पेम्म जलोल्जिय तणु भत्तारहु । पत्ता-रइपेझिय अम्वेल्लिय णिच्छुईतु णिरंभइ ॥ कविणिम्मलए चुर्य मेहलए ददु परिहणुणिन्न धइ ।।२।। ८. १. MB सो अच्छह । २. 11B1' कि थि। ३. MBP पियमेल । ४. MBP चिक कता । ५. MBP पदालिहियउ । ६. 13 milk this lint, ७. MBP णिलाडइ। ८. B वहियउ । ९. MBP मचंतें । १०. BP धवलछत्तत्त । ११. MBP संपाइन । १२, Mणवियारिख । ९. १. MBPT ससीयत । २. MRP पुरि । ३. K पराइउ । ४. MBP एह: Kएह but Drrecta it to पह। ५. MBPK बहिण । ६, MBP पसरिउ । ७, MBP पावंतु जि । ८. MBP वरसिय । ९. MP धुउ मेहलए दईB चुए मेहलए दवं 1१०. MBA परिहाणु णिबंधइ ।
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy