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२३. २१.३० ]
हिन्दी अनुवाद
पत्ता - हे श्रेणिक, जो ऋषभ जिनेन्द्रके द्वारा भरत के लिए कहा गया था, समान दाँतोसे हंसते हुए राजाने पुत्री श्रीमती से कहा ||२१||
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अपने नव
इस प्रकार त्रेसठ महापुरुषक गुण और अलंकारोंले युक्त इस महापुराण में महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महामध्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्यका श्री भवस्मरण नामका तेईसवाँ परिच्छेद समाप्त हुआ ॥ २३ ॥