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________________ २३. १५.८] हिन्दी अनुवाद पत्ता-हे सुन्दरो जननी, (पहला ललितांग देव ) कलिमलसे रहित करनेके लिए आयो और बाईसवें देव ललितांगको मैंने गुरु मानकर पूजा है ॥१३॥ चंचल और तरुण हरिणके नेत्रों के समान तिवाली, चन्द्रमाके बिम्बके समान कही जानेवाली और विरहकी महाग्निसे चन्दनको सुखा देनेवाली हे प्रिये, तेरी और भी कहानी है। मुझे जन्मान्तरका वृत्तान्त याव आ रहा है, उसका अभिज्ञान सुनो, मैं तुम्हें बताता हूँ। विगलित है दुभति जिसकी, ऐसे ब्रह्मेन्द्र, लान्तव, सुरपति द्वारा पूछे जानेपर मैंने लोलासे बसुन्धराका उदार करनेवाले युगन्धरका चरित कहा। जम्बूद्वीपके सुमेरुपर्वतके पूर्व विदेहमें सीता नदीके दक्षिण तटपर वत्सकावतो देश है, जो वृक्षोंसे प्रचुर है। उसमें सुसीमा नामकी श्रेष्ठ नगरी है । उसका राजा पुरुष श्रेष्ठ अजितंजय था ! उसका मन्त्री अमृतमति स्वच्छन्द मनवाला था। उसको सत्यमामा नामकी पत्नी थी। उसका पुत्र प्रहमित, प्रहसित मुखवाला था। उसका मित्र विकसित पा, जिसकी आखें श्वेत थीं। वे दोनों बिना किसी कपटके साथ-साथ सुनते-पढ़ते हुए दिन बिता रहे थे। वे दोनों ही विद्वान् थे और घमण्डसे दूर थे। छल जाति हेतु और कुविवादमें प्रवीण थे। एक दिन दोनों मित्र राजा के साथ मतिसागर ऋषिके पास गये । राजाने उनसे जीवमति पूछी। मुनि उसे सब कुछ बताते हैं। जिसके रहने से जग परिणमन करता है, हे महानृपति, उसका कारपा काल है। धत्ता-जहां वह काल विद्यमान है वह निश्चय से आकाशतल है । गतिका सहकारी धर्मद्रव्य है और स्थिरताका स्पष्ट कारण अधर्मद्रव्य है । ऐसा परमेश्वरने कहा है ॥१४॥ पुद्गल द्रव्य अचेतन होता है, हे नृप ! जो-जो सचेतन है, मैं तुझसे कहता हूँ कि वहां-वहाँ वास्तवमें जीव ही ज्ञानका कारण है। बिना जीवके क्या पुद्गल अस्त होता है ? बिना जीवके क्या पुद्गल हंसता है ? बिना जीवके क्या पुद्गल रमण करता है ? बिना जीवके क्या पुद्गल भ्रमण करता है ? बिना जीवके क्या पुदगल जीवित रहता है ? बिना जीवके क्या पुद्गल देख सकता है ? बिना जीवके क्या पुद्गल सुनता है ? क्या वेदनासे विद्ध होकर चिल्लाता है ? इसपर पृथ्वी और राजाकी श्रीका अनुभव करनेवाले प्रहसित और विकसितने कहा-यदि जीव ही
SR No.090274
Book TitleMahapurana Part 2
Original Sutra AuthorPushpadant
AuthorP L Vaidya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2001
Total Pages463
LanguageHindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Mythology
File Size10 MB
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