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________________ और भी कथा 'यश्च समुपस्थितायां विपदि विषादस्य परिग्रहः सोऽयं चण्डातपचकितस्य दावहुतभुजि पातः ।" - गद्य चिन्तामणि, पृ. २९, लम्भ १ — क्षत्रचूडा. लम्भ ७, क्लोक ६९ लयोः सुताः सुमित्राद्यास्तेष्वप्यन्यतमोऽस्म्यहम् । विद्याहोना वयं सर्वे नद्या हीना इवाद्रयः ॥ - जी. व., लम्भ ७, श्लोक ४७ इन सब सादृश्यों को देखते हुए जान पड़ता है कि जीवम्बरचम्पू की कथा का आधार वादीभसिंह सूरि द्वारा विरचित शत्रचूडामणि और गद्य चिन्तामणि ही है । कतिपय स्थलों पर उत्तरपुराण भी इसका उपजीव्य है । धर्मशर्माभ्युदय का आख्यान } लत्रणसमुद्र के मध्य में कमल के समान शोभा देनेवाला जम्बूद्वीप है । इसके बीच में सुमेरु पर्वत है। दक्षिण की ओर भरत क्षेत्र है । उसके मार्यखण्ड में उत्तरकोशल नाम का देश है और उस देश में सुशोभित है रत्नपुर नाम का नगर । रत्नपुर के राजा महासेन थे । महासेन अपनी महती सेना के कारण सचमुच ही महासेन थे । उनकी रानी का नाम सुद्रता था । सुत्रता, जहाँ शील, संयम आदि गुणों के द्वारा अपने नाम को सार्थक करती थी वहाँ वह सौन्दर्यसागर की एक अनुपम वेला भी थी । अवस्था ढल गयी फिर भी सुत्रता के पुत्र उत्पन्न नहीं हुआ इसलिए राजा महासेन का मन चन्द्ररहित गगन के समान मलिन रहने लगा । पुत्र के बिना राजा चिन्तानिमग्न थे उसी समय वनमाली ने वन में वरुण नामक मुनिराज के आगम की सूचना दी। मुनि आगमन का सुखद समाचार पाकर राजा का रोम-रोम खिल उठा तथा नेत्रों से हर्ष के आंसू बरस पड़े । राजा महासेन, सुव्रता के साथ गजेन्द्र पर आरूढ़ हो मुनि-दर्शन के लिए चल पड़े। उनके साथ नगरवासियों की बड़ी भीड़ भी चल रही थी। वन के निकट पहुँचते ही राजा ने राजकीय वैभव - छत्र, चमर आदि का त्याग कर दिया और पैदल ही चलकर सुनिराज के समीप पहुँचे । प्रदक्षिणा और नमस्कार की प्रक्रिया को पूरा कर राजा ने किं कल्पते कुरङ्गाक्षि शोचनं दुःखशान्तये । आतप क्लेशनाशाय पावक्रस्य प्रवेशवत् || प्र. ल., श्लोक ५३, जी. घ. सुमित्राद्यास्तयोः पुत्रास्तेष्वप्यन्यतमोऽस्म्यहम् । यसैव वयं पक्वा विश्वेऽपि न तु विद्यया ॥ * १. चिन्तामणि, उत्तर पुराण और जीवन्धरचम्पू- मेरे द्वारा सम्पादित और हिन्दी में अनुदित होकर भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित है। ג' २५
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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