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________________ . .भाव यह है-- जो नख-किरणरूपी मंजरी से सुगन्धित थी तथा जिसपर शिलीमुख-बाण (पक्ष में, भ्रमर ) आकर विद्यमान थे, ऐसी धनुषलता को धारण करनेवाले जीवन्धर, वृक्ष के समान सुशोभित हो रहे थे, क्योंकि जिस प्रकार वृक्ष विशाल शाखाओं से सुशोभित होता है उसी प्रकार जीवघर भी भुजारूपी विशाल शाखामों से सुशोभित थे। इसके सिवाय जीवन्धर, निरन्तर ही, विजयलक्ष्मी के विहार की मुख्य भूमिस्वरूप थे। कुण्डलाकार धनुष के मध्य में स्थित, क्रोध से लाल-लाल दिखनेवाला जीवन्धर कुमार का मुख, परिधि के मध्य में स्थित तथा सन्ध्या के कारण लाल-लाल दिखनेवाले चन्द्रमण्डल के साथ स्पर्धा करता था। जीवन्धरकुमार के द्वारा छोड़े हुए बाण ऐसे सुशोभित हो रहे थे मानो युद्ध में छिपे भीलों को देखने के लिए दीपक ही आये हों। तदनन्तर विजयी धनुषरूपी इन्द्रधनुष को धारण करनेवाले जोवन्धर-रूपी मेघ के द्वारा लगातार छोड़ो हुई बाणधारारूपी जलधारा से जब कालकूट नामक भीलों के राजा की सेना सम्बन्धी प्रतापारिन शान्त हो गयी तब युद्धभूमि में हजार से भी अधिक खून की नदियाँ बह निकलीं । वे खून की नदियां तीक्ष्ण शस्त्रों के द्वारा कटे हुए हाथियों के पैर-रूपी कछुओं से सहित थी, भालों के द्वारा कटे हुए घुड़सवारों के मुखरूपी कमलों से सुशोभित थीं और मदोन्मत्त हाथियों के कानों से गिरे हुए चामररूपी हंसों से अलंकृत थीं। यहाँ वीररस के विभाव और अनुभाष का कितना विशद वर्णन है ? पंचम लम्भ में जीवम्भर और काष्ठांगार के प्रमुख सुभट----प्रमथ के युद्ध का दृश्य देखिए गजा जगर्जुः परहाः प्रणेजिहेषुरवाएर तदा रणाये । कुमारबाहा-सुखसुप्तिकायाःप्रबोधमायेव जयेन्दिरायाः 1॥४॥ कराञ्चित-शरासनादविरलं गलद्भिः शरै झुलाव कुरुकुञ्जरो रिपुशिरांसि चापरमा । बिभेद गजयूथपान सुभट-धैर्यवृत्या समं ववर्ष शारसन्तति सममिभोद्गतर्मोनिकः ॥५॥ भाव यह है- ... उस समय रण के अग्रभाग में कुमार की बाहु पर सुख से सोयी हुई विजयलक्ष्मी को जगाने के लिए मानो हाथी गरज रहे थे, नगाड़े बज रहे थे और बोड़े हींस रहे थे। कुरुकुंजर जीवन्धरकुमार ने हाथ में सुशोभित पनुष से लगातार निकलनेवाले बाणों के द्वारा धनुषों के साथ-साथ रिपुओं के सिर छेद डाले थे, सुमदों के बीरण के सामाजिक दशा और युद्ध निदर्शन
SR No.090271
Book TitleMahakavi Harichandra Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Sahityacharya
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages221
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size4 MB
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