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________________ कविवर त्रिभुवनकात्ति एक दिवस परणी करा, घिर रह एक दिन | पछि दिक्षा लेय जो, जु तम्ह हुइ मन ।। ।३६६।। बचन सुणी सुसरा तणां, बोलि जंबकुमार । लाज प्राणि मन प्राणि, हाय भणी तिणी बार ||१०||३६७|| हाल धीवाउलानी जंद्र कुमार का विवाह प्रहदास प्रादि चहु घिरे, उच्छव हुइ अपार रे । मंडप घाल्या प्रति स्यडा, सोहि घिर घिर सार रे ॥१॥३९॥ चन्द्रोया तिहां बांधीया, साधीय पट्टकूल पट्टरे । तोरण को रणी प्रति भली. रयण मि ऊन स्वां पहरे ॥२॥३६६ कुशम माला तिहां लहि लहि, मह मह परिमल पूर दे । ममर भमि तिहां अति घणा, परिमल लीणाबे सूर रे ।। ३।४००।। वाजिन बाजि ते प्रति घणा, ढोल ददामां नीसांण रे। तिवलीय तूर सोहामणा, जाजिय बाजिम आण रे ।।४।।४०१।। गीत गाइवर कामिनि, भामिनी करि रंग रोलरे । नत्य करि वर कामिनि, भाभीय भामणां रंग रे ।५।।४०२॥ धन धन जननीय एह तणी, धन धन एह तु तात रे । धन धन जिणि कुल ऊपनु. धन धन एह नी जात रे ।।६॥४०३।। बंदी जन विरदालली, बोलिय कुमरनी सार रे । लगन तणु दिन बाबीउ. भावीउ ते तिणी बार दे ।।७।४०४।। चपल चंचल अश्व चडीय, चालीउ जंब कुमार रे । तिणी घडी प्रति सोभीउ, जाणउ इंद्र अवतार रे ।।८।।४०५।। सासूइ कोषां पूषणा, पूरणीउ वर तिणे ठाम रे । माहिरामाहि भाणीउ, प्राचार करीय ते ताम रे ।।६।।४०६।।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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