SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 129
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२० महाकवि ब्रह्म रायमल्ल रिद्धिवंत मुनिवर प्रति घणा, यम फलं सह छह रिति तणा । कर घोर तप मन बच काय, उपजो केवल मुक्ति हौ साइ॥१२॥ क्षेत्री धान अवार होइ, दुष्खुशाल न जाणे कोह। सोम भली साल पोखरी, वीस निर्मल पामी भरी ॥१॥ पंयी गण तप्स भूख पलाई, सीतत नीर पक्ष फल खाई ॥१४॥ भन माहि जिग थामक घणा, माहै बिंब भला मिण तणा । व विधि पूजा श्रावक करै, गुर का बंधन स होया धरै ।१५॥ बान चारि तिहं पायां देइ, पात्र कुपात्र परीक्षा ले।। बिब प्रतिष्ठा मात्रा मार, खरच द्रव्य प्रापर्ण अपार ॥१६॥ कंघा मंबर पोल , मात महिर निस:: करि घरि रसी बधाषा होइ, कान परिउ महि मुरिस ने कोई ॥१७ । राणा राज कर मूपाल, जसो स्वर्ग इन्द्र घोवाल । पाल प्रजा चाले न्याइ, पुन्यवंत हपनापुर राइ ॥१८॥ प्रद्युम्न चरित में दुर्योधन को हस्तिनापुर का राजा लिखा है । जैन ग्रन्थों में हस्तिनापुर को देश की १. प्रसिद्ध राजधानियों एवं तीथों में गिनाया है । महाकवि की काव्य रचना के प्रमुख नगर ब्रह्म रायमल्ल सन्त थे इसलिए वे भ्रमण किया ही करते थे । राजस्थान उनका प्रभुस्य प्रदेश था जिसके विभिन्न नगरों में उन्होंने विहार कर के साहित्यनिर्माण का पवित्र कार्य संपन्न किया था। कवि ने उन नगरों का रचना के अन्त में जो परिचय दिया है वह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है तथा यह नगरों के व्यापार, प्राकृतिक सौन्दर्य एवं वहां की व्यवस्था के बारे में परिचय देने वाली है। हम यहाँ उन सभी नगरों का सामान्य परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं --- रणथम्मौर दूढाउ प्रदेश में रणथम्मौर का किला वीरता एवं बलिदान का प्रतीक है। उसके नाम से शोय एवं स्याग की कितनी ही कहानियां जुड़ी हुई हैं। 11 वीं सताब्दि से यह दुर्ग शाम्भरी के चौहान शासकों के अधीन था। इसके पश्चात रणथम्भौर ने
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy