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________________ ११८ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल सेट सुदर्शन भी अंगदेश का ही था । सुदर्शन रास में अंगदेश को धन-धान्यपूर्ण एवं जिन भवनों से युक्त देश कहा है ।' दश पर दशपट्टण अथवा दलवणपट्टण दशपुर के ही दूसरे नाम हैं । दशपुर पहले मन्दसौर का ही दूसरा नाम था । कवि राजशेखर ने दशपुर का उल्लेख पैशाषी भाषा के बोलने वालों का नगर बतलाने के लिये किया है । आवश्यकचूणि में दशपुर की उत्पत्ति का उल्लेख आया है। प्राचार्य समन्तभद्र संभवतः दशपुर में कुछ समय तक रहे थे। द्वारिका यादों की समुद्र तट पर स्थित प्रसिद्ध पौराणिक नगरी । इसी नगरी के शासक समुद्रविजय, वासुदेव एवं हलषर थे । २२ वें तीर्थकर नेमिनाथ की जन्म नगरी भी यही थी । कवि ने द्वारिका का वर्णन नेमीश्वररास एवं प्रद्युम्नरास दोनों में किया है । अहो क्षेत्र भरण पर नंबू दीपो । मन वारानीमती समद समीप सोभा याग पारो घणा । महो छपन जी कोद्धि जावो तो पासो। लोगति सुक्षीय लीसा करें महो इन्द्रपुरी जिम करै हो विकास ॥८॥ नेमीवर रास दुर्वासा ऋषि के शाप से द्वारिका जल कर नष्ट हो गई थी। १. अहो अंग देस प्रति भलो जी प्रधाना, धनकण संपदा तणो जो निधान जिन भवण बन सरोवर घणा यहाँ चम्पा जो नग्री हो मध्य सुभ धान मुनिवर निबस जी प्रति घणा 1 स्वामी जी वासुपुज्य जी पहुंती निरवाण ॥ २. पम्परामायण (७-३५) । ३. प्राकृत साहित्य का इतिहास, पृ० २६ । ४. वही, पृ० २५० । ५. जैन साहित्य और इतिहास पर विशद प्रकाश, पृ० १७४ ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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