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________________ महाकवि ब्रह्म रायमल्ल ३३. सुग्रीव-कोकिन्दापुरी का राजा एवं राम का विश्वस्त सहायक । ३४. हनुमान-अंजना का पुत्र था । सीता की खोज में लंका जाते हुये उसने जैन मुनियों को बचाया था । हनुमान राम का विश्वस्त सेवक था। सुदर्शनरास ६५. घाडीवाहन---मंग नेश के राजा थे। रानी के बहकाने में आकर राजा ने सेठ सुदर्शन को मूली का प्रादेश दिया था । ३६. अभया–अंग देश के राजा घाडीवाहन की रानी थी। कपिला ब्राह्मणी के चक्कर में आकर सेठ सुदर्शन से अपनी शारीरिक प्यास बुझाने की दृष्टि से उसे श्मशान में सामायिक करते हुए उठा कर अपने महल में मंगा लिया। सेठ सुदर्शन अपने चरित्र पर हड़ रहा 1 लेकिन रानी ने सेठ सुदर्शन पर शीलभंग का लांछन लगा दिया। लेकिन जव शील के महात्म्य से सुली का सिंहासन बन गया और रानी को मालूम हुआ तो वह अपघात करके मर गयी । ३७. कपिला-वह ब्राह्मणी थी। सेठ सुदर्शन की सुन्दरता पर मुग्ध थी। दर्द का बहाना बनाकर सेठ सुदर्णन को अपने यहां बना लिया तथा काम ज्वर का नाम लेकर सेठ को फुसलाना चाहा लेकिन सुदर्शन उसे बहुत समझा कर कपिला के चंगुल से मुक्त हो गया । अन्त में कपिला नगर छोड़कर पाटलीपुत्र चली गयी। ३८. मनोरमा. -सेट सुदर्शन की धर्म पस्ति । ३६. सेठ सुवर्शन-सुदर्शन चम्पा नगरी का नगर सठ या जो अपने चरित्र के लिये बह नगर भर में प्रसिद्ध था। कपिला ब्राह्मणी एवं प्रभया रानी दोनों के ही चंगुल में यह नहीं फैला । राजा ने रानी के बहकावे में आकर जब उसे सूली का प्रादेश दिया तो सुदर्शन ने सहर्ष स्वीकार कर लिया । लेकिन उसके शील के महात्म्य से वह सूली सिंहासन बन गयी। इसके पश्चात् कितने ही वर्षो तक घर में रहने के पश्चात् मुनि दीक्षा धारण करली और तपस्या करके निर्वाण प्राप्त किया । ___ जम्बूस्वामोरास ४०. अम्बूस्वामी-भगवान महावीर के पश्चात होने वाले अन्तिम केवली । इनके पिता का नाम श्रेष्ठि ऋषभदत्त एवं माता का नाम पारिणी था । युवावस्था में इनका विवाह आठ कन्याश्नों से हो गया । लेकिन उनका मन संसार में नहीं लगा ।
SR No.090269
Book TitleMahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherMahavir Granth Academy Jaipur
Publication Year
Total Pages359
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size5 MB
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