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________________ 08 महाकवि भूधरदास : करने से राग भेद भी हो जाते हैं। दिन के 11 बजे से 4 बजे तक गाये जाने वाले रागों में सारंग, बरवा, पीलू इत्यादि हैं । रात्रि के उक्त निर्धारित समय में गाये जाने वाले रागों में सोरठा, काफी कान्हड़ा इत्यादि रहेंगे। इसके अतिरिक्त कुछ राग ऋतु विशेष से सम्बन्धित भी होते हैं । यथामलार या मल्हार । भूधर साहित्य में प्रयुक्त रागों का विवरण निम्नानुसार है क्रम अकारादि क्रम कितनी बार और कुल प्रयोग राग की प्रकृति और से राग कहाँ प्रयुक्त उसके गाने का समय - . 1. कल्याण भूधरविलास 1 1 2. काफी प्रभाविलास 4 3 प्रकीर्ण 1 . 3. कान्हड़ी भूधरविलास 1 1 शुद्ध रे ध वाला राग, समय रात्रि का प्रथम प्रहर कोमल ग नि वाला राग समय रात 11 बजे से प्रात: 4 बजे तक कोमल ग नि वाला राग समय रात 11 बजे से प्रात: 4 बजे तक कोमल ग नि वाला राग समय रात 11 बजे से प्रात: 4 बजे तक कोमल रे ध वाला राग समय सायं 4 से प्रात: 7 बजे तक 4. काफी कान्हड़ी प्रकीर्ण 1 5. गौरी 3 भूधरविलास 1 प्रकीर्ण पदों में 2
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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