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महाकवि भूधरदास :
करने से राग भेद भी हो जाते हैं। दिन के 11 बजे से 4 बजे तक गाये जाने वाले रागों में सारंग, बरवा, पीलू इत्यादि हैं । रात्रि के उक्त निर्धारित समय में गाये जाने वाले रागों में सोरठा, काफी कान्हड़ा इत्यादि रहेंगे।
इसके अतिरिक्त कुछ राग ऋतु विशेष से सम्बन्धित भी होते हैं । यथामलार या मल्हार ।
भूधर साहित्य में प्रयुक्त रागों का विवरण निम्नानुसार है
क्रम अकारादि क्रम कितनी बार और कुल प्रयोग राग की प्रकृति और से राग कहाँ प्रयुक्त
उसके गाने का समय - .
1. कल्याण
भूधरविलास 1
1
2. काफी
प्रभाविलास
4
3 प्रकीर्ण 1 .
3. कान्हड़ी
भूधरविलास 1
1
शुद्ध रे ध वाला राग, समय रात्रि का प्रथम प्रहर कोमल ग नि वाला राग समय रात 11 बजे से प्रात: 4 बजे तक कोमल ग नि वाला राग समय रात 11 बजे से प्रात: 4 बजे तक कोमल ग नि वाला राग समय रात 11 बजे से प्रात: 4 बजे तक कोमल रे ध वाला राग समय सायं 4 से प्रात: 7 बजे तक
4. काफी कान्हड़ी प्रकीर्ण 1
5. गौरी
3
भूधरविलास 1 प्रकीर्ण पदों में 2