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________________ 301 एक समालोचनात्मक अध्ययन चौपाई - दोहा की भाँति चौपाई भी मात्रिक छन्द है।' इसमें 16 मात्राएँ होती हैं। इसका विकास प्राकृत एवं अपभ्रंश के 16 मात्रा वाले वर्णनात्मक छन्द से हुआ है। चौपाई में 15 मात्राएँ तथा अन्य में गुरु लघु होता है। हिन्दी साहित्य में प्राचीन समय से ही चौपाई छन्द का प्रयोग उपलब्ध है। भूधरदास ने चौपाई छन्द का प्रयोग प्रबन्ध एवं मुक्तक दोनों ही काव्य रूपों में किया है । कवि द्वारा पार्श्वपुराण में 934 तथा अवशिष्ट प्रकीर्ण साहित्य में 184 चौपाई छन्दों का प्रयोग हुआ है। सोरठा - दोहा की भाँति सोरठा भी मात्रिक अर्द्धसम छन्द है । रचना की दृष्टि से सोरठा छन्द का उल्टा होता है। इसके प्रथम व तृतीय चरण में 11-11 तथा द्वितीय व चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। “प्राकृत पेंगलम्" में सोरठा को “अपभ्रंश सोरट्ठा” कहा गया है।' हिन्दी साहित्य में सोरठा छन्द का व्यवहार प्रबन्ध एवं मुक्तक दोनों काव्यरूपों में उपलब्ध है। सोरठा छन्द पार्श्वपुराण में 28 बार, जैन शतक में 2 बार तथा प्रकीर्ण साहित्य में 4 बार प्रयुक्त हुआ है। भूधरदास के सहित्य में सोरठा छन्द परम्परानुसार ही प्रयुक्त हुआ है। छप्पय • छप्पय संयुक्त मात्रिक विषम छन्द है। इसमें 6 पद तथा 148 मात्राएँ होती हैं। प्राय: इसका प्रयोग वीर रस में होता है, परन्तु भूधरदास ने इसका प्रयोग अन्य रसों में भी विषयानुसार किया है। कविवर भूधरदास द्वारा प्रबन्ध एवं मुक्तक दोनों ही काव्यरूपों में छप्पय छन्द का प्रयोग किया गया है। पार्श्वपुराण में छप्पय छन्द का प्रयोग 13 बार, जैन शतक में 13 बार तथा प्रकीर्ण साहित्य में 10 बार उपलब्ध है। कवि ने इस छन्द का प्रयोग परम्परा के विरुद्ध शान्त रस में भी किया है, किन्तु वहाँ भी शैली में ओज एवं प्रवाह छप्पय की की अपनी प्रकृति के अनुसार ही परिलक्षित होता है। छप्पय छन्दों 1, छन्द प्रभाकर,जगन्नाथप्रसाद 'भानु' पृष्ठ 49 2. हिन्दी साहित्य कोश भाग 1 सम्पादक डॉ. धीरेन्द्र वर्मा पृष्ठ 320 3. प्राकृत पेंगलम् 1:70, सम्पादक डॉ. भोलाशंकर व्यास भाग 1 सन् 1959 4. हिन्दी साहित्य कोश भाग 1 सम्पादक डॉ. धीरेन्द्र वर्मा पृष्ठ 323 5. जैन शतक छन्द ४ तथा पार्श्वपुराण पृष्ठ 1(भानुतिलक .....)
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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