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महाकवि भूधरदास : एक परिचय)
जन्मकाल – विक्रम संवत् 1756-57 मृत्युकाल – विक्रम संवत् 1822-23 शिक्षा – पं. बनारसीदास द्वारा प्रवृर्तित आध्यात्मिक
संगोष्ठी 'सैली' में सम्पन्न । निवास स्थान व कार्यक्षेत्र - आगरा प्रमुख रचनाएँ - चर्चा समाधान (गद्य साहित्य),
पार्श्वपुराण (महाकाव्य), जैनशतक (मुक्तक काव्य), पदसंग्रह या भूधरविलास एवं विभिन्न फुटकर रचनाएँ (मुक्तक काव्य)
“आगरे में बालबुद्धि भूधरखण्डेलवाल, बालक के ख्यालसों कवित्त कर जाने है । ऐसे ही करत भयौ जैसिंहसवाई सूबा, हाकिम गुलाबचन्द आये तिहि थाने है ।। हरिसिंह साहके सु वंश धर्मानुरागी नर, तिनके कहै सौ जोरि कोनी एक ठानेहै । फिरि-फिरि प्रेरे मेरे आलस को अन्त भयो, इनकी सहाय यह मेरो मनमाने है ।
अर्थ – मैं, भूधरदास खण्डेलवाल आगरा में बालकों के खेल जैसी कविता (रचना) करता हूँ। ये उक्त छन्द मैंने सवाई जयसिंह सूबा के हाकिम श्री गुलाबचन्द्र जी और श्री हरिसिंहशाह के वंशज धर्मानुरागी पुरुषों के कहने से एकत्रित किये हैं। उन्हीं लोगों की पुन: पुन: प्रेरणा से मेरे आलस्य का अन्त हुआ है। मैं उनका हृदय से आभार मानता हूँ।
- जैनशतक पछ 106