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________________ एक समालोचनात्मक अन 203 चरित्र-चित्रण के उपर्युक्त विभाजन के आधार पर “पार्श्वपुराण में प्रधान और गौण - दोनों प्रकार के पात्र मिलते हैं। प्रधानपात्रों में पार्श्वनाथ और संवर नामक ज्योतिषी देव (कमठ) को लिया जा सकता है । गौण पात्रों में पार्श्वनाथ के अनेक जन्मों से सम्बन्धित माता-पिता, बन्धु-बान्धव, मित्रादि को लिया जा सकता है। पार्श्वनाथ के चरित्र सुनने के इच्छुक राजा श्रेणिक तथा इन्द्र आदि भी गौण पात्रों में गिने जाएंगे। प्रधान पात्रों का चरित्र-चित्रण नायक : पार्श्वनाथ :- कथानक के फल प्राप्त करने वाले या अधिकारी को नायक कहते है । यह कथानक का प्रमुख पात्र होता है । कथानक की सभी घटनाएँ उसी के अभिमुख होकर घटती है और वही प्रमुख कार्यों का कर्ता होता है। शेष पात्र उसके सहायक होते हैं और उसी के चरित्र को उजागर करते हैं। यही सामाजिकों को रसदशा तक ले जाता है। भारतीय आचार्यों के अनुसार नायक चार प्रकार के माने गये हैं - धीरोदात्त, धीरप्रशान्त, धीरललित और धीरोद्धत। इन चारों में भारतीय काव्यशास्त्र के अनुसार महाकाव्य का नायक धीरोदात्त होना चाहिए। धीरोदात्त के लक्षण के सम्बन्ध में दशरूपककार का कथन है कि *धीरोदात्त नायक अपने संवेगों पर नियन्त्रण रखने वाला, अतिगम्भीर, क्षमावान, आत्मश्लाधा न करने वाला, अहंकारशून्य एवं दृढव्रत होता है ।" 1 धीरोदात्त नायक के उपर्युक्त गुणों के आधार पर पार्श्वनाथ धीरोदात्त नायक ही सिद्ध होते हैं। पार्श्वनाथ के जन्म में तो वे धीरोदात्त नायक के गुणों से युक्त है ही; परन्तु कवि द्वारा वर्णित पूर्व के नौ जन्मों में भी वे सद्गुणों से युक्त ही बतलाये गये हैं। पहले जन्म में वे पोदनपुर के राजा अरविन्द के मंत्री विश्वभूति के छोटे पुत्र मरूभूति थे । उनके बड़े भाई का नाम कमठ था। मरूभूति और कमठ दोनों सगे भाई होने पर भी उन दोनों के स्वभाव में बहुत अन्तर था। मरूभूति सरल परिणामी और सज्जन था जब कि कमठ कठोर परिणामी और दुर्जन था - . 1. रूपदशक- धनञ्जय प्रकाश 1, सूब 1-2 -- - - -
SR No.090268
Book TitleMahakavi Bhudhardas Ek Samalochantmaka Adhyayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNarendra Jain
PublisherVitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust Ajmer
Publication Year
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Biography
File Size9 MB
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