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एक समालोचनात्मक अध्ययन
प्रकाशकीय श्रद्धेय पण्डितप्रवर सदासुखदास जी कासलीवाल की साधना स्थली अजमेर में अध्यात्मरसिक धर्मानुरागी श्री पूनमचंदजी लुहाडिया द्वारा दिनांक 16 अप्रैल 1985 को श्री वीतराग विज्ञान स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट अजमेर की स्थापना की गई, जिसके अन्तर्गत श्री सीमन्धर जिनालय में प्रतिदिन दैनिक पूजन, स्वाध्याय, भक्ति आदि के अलावा विशेष अवसरों पर विशिष्ट पूजा, विधान, शिक्षण शिविर, वैराग्योत्पादक सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि के द्वारा वीतराग जिनशासन को आराधना एवं प्रभावना हो रही है।
जैन विद्वानों की परम्परा को अक्षुण्ण रखने के लिए श्री कुन्दकुन्द कहान दि. जैन तीर्थसुरक्षा ट्रस्ट बम्बई द्वारा पण्डित टोडरमल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय के अन्तर्गत पं. सदासुखदास दि. जैन सिद्धान्त विद्यालय स्थापित करके अजमेर ट्रस्ट ने 25 छात्रों के पठन-पाठन, निवास, भोजनादि का खर्च सन 1995 से स्थायी रूप से देना प्रारम्भ किया है।
जैन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित श्री कुन्दकुन्द शिक्षण संस्थान बम्बई, अनुपलब्ध दि. जैन साहित्य उपलब्ध कराने हेतु श्री कुन्दकुन्द शोध संस्थान अजमेर व पण्डित सदासुख ग्रन्थमाला, अजमेर ( जिसके अन्तर्गत अभी तक 1 पुष्प प्रकाशित हो चुके हैं) ये सब श्री पूनमचंदजी लुहाड़िया की महत्त्वपूर्ण परिकल्पनाएँ
हैं।
जैन समाज की उदीयमान प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने हेतु ट्रस्ट ने अगस्त 1995 जयपुर शिविर में पं, टोडरमल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जयपुर के पीएच डी. करने वाले भूतपूर्व 5 स्नातक - डॉ. श्रेयांस सिंघई, डॉ. सुदीप जैन, डॉ. नरेन्द्र जैन, डॉ. योगेश जैन एवं डॉ. राजेश जैन को सम्मानित किया । अगस्त % जयपुर शिविर में श्रीमती डॉ. मुन्नीदेवी जैन वाराणसी को “हिन्दी गद्य के विकास में जैन मनीषी पं. सदासुखदास का योगदान" विषय पर पी-एच.डी. करने पर 21 हजार की राशि, प्रशस्ति पत्र आदि देकर सम्मानित किया । भविष्य में भी ट्रस्ट इस दिशा में कृत संकल्पित रहेगा।
पण्डित नरेन्द्रकुमारजी पं. टोडरमल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जयपुर के प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं। इन्होंने सन् 1982 की शास्त्री परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। शास्त्री, जैनदर्शनाचार्य, एमए, (हिन्दी, संस्कृत), बी.एड करने के बाद इन्होंने पण्डित भूधरदास जी पर यह शोधकार्य किया है।