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एक समालोचनात्मक अध्ययन
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। रचनाओं का वर्गीकरण एवं परिचयात्मक अनुशीलन
___ (क) रचनाओं का वर्गीकरण भूधरदास आध्यात्मिक कोटि के सुकवि थे। उन्होंने जिनदेव, जिनगुरु जिनशास्त्र और जिनधर्म से प्रभावित होकर अपने साहित्य की रचना की। उनके द्वारा रचित सम्पूर्ण साहित्य को हम दो भागों में बाँट सकते हैं --- {1) गद्य
(2) पद्य। “गद्य" में उनकी एक मात्र कृति “चर्चा समाधान" मिलती है; जो : जैन पुस्तक भवन कलकत्ता से प्रकाशित हुई है।
पद्यात्मक रचनाओं को दो भागों में बाँटा जा सकता है - (1) महाकाव्य और (2) मुक्तक काव्य । उनकी महाकाव्यात्मक एक मात्र कृति “पार्श्वपराग" है, जिसमें एक ओर तेईसवें जैन तीर्थकर पार्श्वनाथ के चरित्र को उजागर किया गया है तथा दूसरी ओर सग्यपूर्वक जैन सिद्धान्त की जानकारी दी गई है। मुक्तक काव्य के अन्तर्गत जैनशतक, पदसंग्रह या भूधरविलास नामक संग्रहीत रचनाएँ तथा कई विनतियाँ, पार्श्वनाथ स्तोत्र, एकीभाव स्तोत्र, दर्शन स्तोत्र, पंचमेरू आरती, संध्या समै की आरती, नाभिनन्द की आरती, अष्टक नेमिनाथ का, नेमिनाथ अष्टक, वीरदेव अष्टक, पार्श्वनाथ अष्टक, करुणाष्टक निशिभोजन जन कथा,
रिषभदेव के दस भौ ठाने का गीत, दया दिठावन गीत, परमार्थ सिष्यागीत, तीन । चौबीस के जयमाल, विवाह समै जैन की मंगल भाषा, नोकार महातम की ढाल, | सप्त व्यसन निषेध ढाल, हुक्का पच्चीसी या हुक्का निषेध चौपाई, ऋषभदेव के | न्हौन संस्कार की बधाई, परमार्थ जकड़ी, होलियाँ, गुरुस्तुतियाँ, जिनेन्द्रस्तुतियाँ, । जिनगुण मुक्तावली, भूपाल चतुर्विंशति भाषा, बारह भावना, सोलहकारण भावना,
वैराग्य भावना, बाबीस परीषह आदि अनेक फुटकर रचनाएँ एवं अनेक प्रकीर्ण फुटकर पद आते हैं।
भूधर- साहित्य गद्य
पद्य चर्चा समाधान
मुक्तक काव्य पार्श्वपुराण जैनशतक भूधरविलास या पदसंग्रह,
अनेक फुटकर रचनाएँ एवं प्रकीर्ण पद
महाकाव्य