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महाकवि भूधरदास :
भूधरदास की दूसरी रचना “पार्श्वपुराण" का रचनाकाल वि सं. 1789 है।
संवत् सतरह से समय, और नवासी लीय।
सुदि अषाढ़ तिथि पंचमी, प्रन्थ समापत कीय ॥' संवत् 1789 आषाढ़ शुक्ला पंचमी को यह ग्रन्थ समाप्त किया गया ।
भूधरदास की समयांकित गद्यकृति “चर्चा समाधान” का रचनाकाल वि. सं. 1806 है -
अठारह से षहोत्तरे, माघ मास अवसान।।
शुक्ल पक्ष तिथि पंचमी, ग्रन्थ समापति ठान ।' वि. सं. 1846 के माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को यह ग्रन्थ समाप्त किया गया।
इस प्रकार जैन-शतक, पार्श्वपुराण और चर्चा समाधान इन तीनों समयांकित रचनाओं का कुल रचनाकाल 25 वर्ष होता है। सर्वप्रथम जैनशतक की रचना वि. सं. 1781 में हुई है। अत: भूधरदास का जन्म इसके 25-30 वर्ष पूर्व अवश्य मानना होगा क्योंकि सामान्यत: किसी व्यक्ति का 25-30 वर्ष का हुये बिना इस प्रकार का धार्मिक एवं नैतिक ग्रन्थ बनाना सम्भव नहीं है । इस आधार पर भूधरदास का जन्म वि सं. 1781 के लगभग 25 वर्ष पूर्व वि सं. 1756 सिद्ध होता है। डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल द्वारा सम्पादित “जैन पद संग्रह,"' पं. ज्ञानचन्द विदिशा द्वारा संकलित “अध्यात्म भजन गंगा' एवं डॉ. नेमिचन्द जैन द्वारा सम्पादित “जैन पद विशेषांक में भी भूधरदास का जन्म . समय 1757 दिया गया है। अत: मेरा भी यह निश्चित मत है कि भूधरदास का जन्म समय वि. सं. 1756-57 ही होना चाहिए।
भूधरदास का देहावसान का समय भी अनिश्चित ही है, परन्तु उपर्युक्त मनीषी विद्वानों ने भधरदास का अंतिम समय वि. सं. 180 माना है। जबकि यह उनकी समयांकित अन्तिम कृति “चर्चा समाधान" का रचना काल है। वि. सं. 1806 के माघ मास में “चर्चा समाधान" की रचना के तत्काल बाद भूधरदास
1, पार्श्वपुराण अन्तिम प्रशस्ति 2. चर्चा समाधान अन्तिम प्रशस्ति 3. जैन पद संग्रह- डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, महावीरजी 1964 4. अध्यात्म भजन गंगा-संकलनकर्ता श्री ज्ञानचन्द विदिशा, मुमुक्षु मण्डल, कानपुर 5. जैन पद विशेषांक- सम्पादक डॉ. नेमीचन्द जैन