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एक समालोचनात्मक अध्ययन
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कृषक और जनसाधारण की आर्थिक दशा अच्छी नहीं थी, जबकि शासक और उच्च वर्ग के लोग भोग विलास का जीवन व्यतीत करते थे। इस प्रकार तत्कालीन समाज की आर्थिक दशा शोचनीय थी ।
(ग) धार्मिक परिस्थितियाँ
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मध्य युग के मुगल शासकों में अकबर का शासनकाल ही ऐसा रहा; जिसे धार्मिक सहिष्णुता के युग की संज्ञा दी जा सकती है। अकबर के उत्तराधिकारी जहाँगीर में जहाँ अकबर की उदारता का पतन दृष्टिगोचर होता है, ' वहाँ जहाँगीर का उत्तराधिकारी शाहजहाँ कट्टरपंथी मुसलमान के रूप में हमारे सामने आता है। उसके शासनकाल से ही धार्मिक अत्याचारों का प्रारम्भ हो गया था। उसने अपने आपको इस्लाम के विरुद्ध चलने वाले का विनाशकारी घोषित किया । " राज्य के ऊँचे ऊँचे पदों पर मुसलमानों को ही नौकरी दी तथा हिन्दू तीर्थ यात्रियों पर कर लगा दिया। यही नहीं, उसने जुझारसिंह और उसके परिवार को जबरन मुसलमान बनवा दिया। उसने अपने पिता और पितामह से चली आयी तुलादान रीति और हिन्दू त्यौहार, जो राजदरबार में मनाये जाते थे, बन्द करवा दिये । उसने नवीन मंदिरों का निर्माण तथा पुराने मन्दिरों का जीर्णोद्धार बन्द करवा दिया। इतना ही नहीं, उसने मन्दिरों को गिरवाने का कार्य भी आरम्भ कर दिया। सेना यात्रा के मार्ग में पड़ने वाले सभी मन्दिर गिरवा दिये जाते थे हिन्दू मन्दिर के मलवे से मस्जिद बनवाई गयी। हिन्दुओं के तीर्थ स्थानों को नष्ट किया गया। उसने अपने सम्पूर्ण शासनकाल में धर्मपरिवर्तित हिन्दुओं को शुद्ध करने की निषेधाज्ञा जारी ही रखी। हिन्दू मुस्लिम अन्तर्जातीय विवाह, पर रोक लगा दी । युद्ध बंदियों को जबरन मुसलमान बनाने की प्रथा फिर जारी कर दी गई। कुरान और पैगम्बर का अपमान करने वाला प्राणदण्ड पाता था ।
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उसकी धर्मान्धता और अनुदारता औरंगजेब के कट्टरशासन की अग्रदूत थी । औरंगजेब के गद्दी पर बैठने पर तो यह प्रतिक्रिया अपनी चरमसीमा पर पहुंच गई । इस्लाम फिर से राजधर्म बन गया। हिन्दुओं पर तीर्थयात्रा कर और जजिया कर फिर से लगा दिये गये -
1. दी रिलीजस पालिसी ऑफ दी मुगल एम्परर्स, श्रीराम शर्मा, पृष्ठ 90 2. वही पुष्ठ 96 97
3. वही पृष्ठ 92, तथा “हिस्ट्री ऑफ शाहजहाँ" डॉ. बेनीप्रसाद पृष्ठ 89-90
4. आक्सफोर्ड हिस्ट्री आफ इण्डिया डॉ. स्मिथ पृष्ठ 421
5. “मुगलकालीन भारत " डॉ. आशीर्वादीलाल श्रीवास्तव पृष्ठ 457