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प्रस्तावना
काल
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प्रति परिचय
मयण-जुद्ध काव्य की उक्त प्रनि आमेर शास्वभण्डार, महावीर-भवन, जयपुर ( राजस्थान ) के संग्रह के वेष्टन सं0 267 के गटका सं० 49 में उपलब्ध है । इस में कुल 24 पत्र हैं, जिनमें पद्यों की कुल संख्या 159 है । इस प्रति में प्रतिलिपिकाल एवं प्रतिलिपिकार का कोई उल्लेख नहीं है । अध्ययन-क्रम में हमने प्रस्तुत प्रति का सांकेतिक नाम "क' दिया है ।
यह प्रति बड़ी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। लेकिन इसके पाठ प्रायः शुद्ध हैं । मयणजूद्ध की अन्य चार प्रतियौं राजस्थान के विभिन्न शास्त्र-भण्डारों में भी उपलब्ध हैं जिनका विवरण निम्न प्रकार हैपत्र सं: प्रतिलिपि
पद्य सं० शास्त्रमण्डार, दि० जैन बड़ामन्दिर,
158 (ख) जयपुर -
पत्र संख्या 41 ।। शास्त्रभण्डार नागदामन्दिर, बूंदी 22 -
142 (ग) भट्टारकीय शास्त्रमण्डार, अजमेर 20 वि० सं० 1619 158 शास्त्रभण्डार दि० जैन ठोलियान, वि०सं० 1712 158 जयपुर -
20 ।। ।। ।। प्रस्तुत प्रति का पाठ-संशोधन उक्त प्रथम दो प्रतियों के आधार पर किया गया है। इस प्रसंग में दि० जैन बड़ा मन्दिर, जयपुर प्रति का सांकेतिक नाम 'ख'' एवं नागदा शास्त्रभण्डार, बूंदी की प्रति को "ग'' नाम दिया गया है। अन्य प्रतियाँ उपलभ न रहने से उनके पाठान्तर एकत्र नहीं किए जा सके ।
कवि-परिचय अन्य अनेक जैन महाकवियो की भाँति महाकवि बूचराज भी यशोकामना से निर्लिप्न प्रतीत होते हैं। अतः इनके परिचय के विषय में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं होती । कवि की स्वयं की कृतियों एवं समकालीन रचनाओं से जा सामान्य जानकारी प्राप्त हानी हैं, उसीके आधार पर यहाँ उनका सामान्य परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है।