________________
प्रस्तावना विषयसूची
पृ० सं० प्रति परिचय कवि परि कान का समय कवि का निवासम्थल कवि क नाम में विविधता गुरु-परम्परा रचनाएँ
(1) मथागजुद्ध-कता (2) संतोष जयतिलक, ( 3 ) बारहमासा-नमीश्वर का ( 4 ) चेतन पुद्गल धमाल, (5) नेमिनाथ टासन्त, ( 6 ) भुवनक्रीति-गीन (7 ) टंडाणा-गीत, ( 8 ) नेमि-गीत, ( 9-20 ) अध्यात्म गीत
एवं एक पद मयणजुद्धकव्व : एक काव्य-रूपक
मयणजुद्ध कन्त्र : पृष्ठभूमि रूपक-काव्य का स्वरूप एवं परम्पग़
रूपकों की प्राचीनता ( रूपका का विकास ) अर्द्धमागधी आगम-साहित्यप्रबोध चन्द्रोदय, मयणपराजयचरिउ, माह पराजय प्रबोध-चिन्तामणि, ज्ञानसूर्योदय, मदनपराजय
१७-१९ प्रतीकात्मक जैन-कथा-साहित्य काग सम्बन्धी प्राचीन काव्य-परम्परा मवाणजुद्ध-काव्य की कथावस्तु मयणजुद्ध-काव्य का कथासोन मयणजुद्ध कन्च की कथावस्तु में अन्तर मयणजद्ध-कव्व में काव्यात्मकतारसयोजना
( 1 ) शृंगार रस, ( 2 ) हास्य ग्म. ( 3 } रांद्र रस ( 4 ) वीर रस ( 5 ) 'भयानक रस { 6 नीभत्स रस्म । 7 ) शान्त रस । २६.२९