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________________ लघुविद्यानुवाद विधि :-चैत्र शुक्ला अष्टमी को 108 रक्त वर्ण के पुष्पो से पूजन करे। धूप, दीप, प्रसाद करे, केशर, चन्दन कपूर का तिलक करे। प्रत्येक पुष्प पर एक मन्त्र पढे। फिर इसी तरह दीपावली के दिन करे तत्पश्चात् तिजोरी में रख दे या सोने मे मढाकर गले मे धारण करे। एक मुखी रुद्राक्ष जिसका मूल्य 5-10 हजार तक भी हो जाता है। विशेष रूप से नकली आते है / लेते समय सावधानी रखनी चाहिये / किसी विज्ञ व्यक्ति से पहचान करवाकर लेना चाहिये। वहेड़ा कल्प ___ शनिवार की सध्या को वृक्ष के पास जावे, “मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा" इस मन्त्र का उच्चारण करे, चन्दन, चावल, पुष्प, नैवेद्य, धूप, दीप द्वारा उसका पूजन करे व मोली बाधकर आ जावे / दूसरे रोज रविवार पुष्य नक्षत्र के दिन सूर्योदय से पहले जावे और निम्नलिखित मन्त्र पढकर मूल व पत्ते ले आवे। मन्त्र :-ॐ नमः सर्व भूताधिपतये ग्रस शोषय भैरवीञ्चाज्ञापयति स्वाहा / घर पर लाकर पचामृत से धोकर अच्छी तरह स्थापना कर, उपरोक्त मन्त्र मे फिर अभिमन्त्रित करना चाहिये तत्पश्चात् प्रयोग में लाया जा सकता है। जैसे .- (1) दाहिनी जाघ के नीचे रखकर भोजन करे, तो अपनी खुराक से बीस गुना ज्यादा भोजन कर सकता है। (2) तिजोरी मे रखे तो अटूट भण्डार रहे। निर्गुण्डी कल्प विधि -रात्रि के समय अकेला निर्गुण्डी वृक्ष के पास जावे और 21 प्रदक्षिणा निम्नलिखित मन्त्र को बोलते हुए सात रात्रि तक बराबर दे, तो वृक्ष सिद्ध हो जाता है। मन्त्र -~-ॐ नमो गौतम गणेशाय कुबेरये कद्रि के फट् स्वाहा / तत्पश्चात् सातवे रोज वृक्ष का पचाग ले आवे / फिर धूप दीप से पूजन करे / पचामृत से धोकर शुद्ध जगह रखकर उपरोक्त मन्त्र की एक माला से अभिमन्त्रित कर निम्नलिखित प्रयोगा से काम ले। जैसे .-(1) पुष्य नक्षत्र मे निगुण्डी और सफेद सरसो, दुकान के द्वार पर रसी जाये, तो अच्छा क्रय-विक्य होता है।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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