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________________ लघुविद्यानुवाद (8) नौ मुख वाले रुद्राक्ष को भैरव का प्रतीक माना गया है अथवा नौ रूप धारण करने वाली माहेश्वरी दुर्गी उसकी अधिष्ठात्री देवी मानी गई है / जो मनुष्य अपने बाये हाथ मे इसको धारण करता है वह सर्वेश्वर हो जाता है / (10) दस मुख वाला रुद्राक्ष साक्षात देव रूप है। उसको धारण करने से मनुष्य की सम्पूर्ण कामनाये पूर्ण हो जाती है, वह भूत-प्रेत-बागाउँ तथा सभी प्रकार की बीमारियो को हरण करने वाला है। (11) ग्यारह मुख वाला रुद्राक्ष रुद्र रूप है, उसको धारण करने से सर्वत्र विजयी होता है / इसे पूजा-गृह अथवा तिजोरी मे मगल कामना के लिये रखना लाभदायक है, यह सबको मोहित करने वाला है। (12) बारह मुख वाले रुद्राक्ष को केश प्रदेश मे धारण करे, उसको धारण करने से मानो, मस्तक पर आदित्य विराजमान हो जाते है। (13) तेरह मुख वाला रुद्राक्ष विश्व देवो का स्वरूप है, उसको धारण करके, मनुष्य सम्पूर्ण अभीष्टो को पाता है तथा सौभाग्य और मगल लाभ प्राप्त करता है / (14) चौदह मुख वाला रुद्राक्ष परम शिव रूप है, उसे भक्ति पूर्वक मस्तक पर धारण करे, इससे समस्त पापो का नाश होता है। इस तेरह मुखो के भेद से रुद्राक्ष के मुख्यतः चौदह भेद बताये गये है। रुद्राक्ष धारण करने के मन्त्र निम्नलिखित रूप मे है१-४-५-१०-१३ इन पाचो का मन्त्र-ॐ ह्री नम है। 2-14 इन दोनो का मन्त्र-ॐ नम' है। ३-इसका मन्त्र-क्ली नम. है / 6-6-11 इन तीनो का मन्त्र-ॐ ह्री ह्र नम है। 7-8 इन तीनो का मन्त्र-ॐ हु नम है। १२-इसका मन्त्र-ॐ क्रौ क्षौ रौ नम है। उपरोक्त चौदह ही मुखो वाले रुद्राक्षो को अपने-अपने मन्त्र द्वारा धारण करने का विधान है / रुद्राक्ष की माला धारण करने वाले पुरुष को देखकर भूत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी तथा द्रोहकारी राक्षस आदि सर्व दूर भाग जाते है / एक मुखी रुद्राक्ष को साधने का मन्त्र :. श्री गौतम गणधर जी को नमः ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं एक मुखाय भगवतेऽनुरूपाय सर्व युगेश्वराय त्रैलोक्य नाथाय सर्व काम फलं प्रदाय नमः /
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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