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________________ लघुविद्यानुवाद 656 शुभ तिथि, शुभ वार के नक्षत्र को काली गाय के दूध को जीभ पर रखे और उसके घी को दोनों हाथो मे अजन करे तो पृथ्वी मे गडा हुआ द्रव्य दिखेगा। जहा पर कौए मैथुन करते हो और सिह आकर बैठता हो वहा अवश्य ही धन गडा हुआ समझना। बहेडे के वृक्ष को शाम को न्योत आवे, सवेरे उसका पत्ता लाकर पॉव के नीचे दबा कर भोजन करने से बीस-तीस आदमी का भोजन केले ही खा जाता है। बहडे का पत्ता तथा सफेद कुत्ते का दात इन दोनो को कमर मे बाधकर खाने बैठने से बहुत भोजन करता है। भैस के दूध मे तथा घी मे अपामार्ग के बीजो की खीर बनाकर खाने से एक महीने तक भूख नही लगती है। पमार के बीज, कसेरू तथा कमल की जड को गाय के दूध मे पकाकर खाने से एक महीने तक भूख नही लगती। गोरोचन तथा केशर को महावर के साथ घिसकर, उसके द्वारा भोज-पत्र के ऊपर जिस व्यक्ति का नाम लिखे वह सदैव वश मे रहता है / पके और सूखे हुए लभेडे (ल्हिसोडे) के फल को खूब महीन पीसकर पानी में डालने से पानी बध जाता है। दो हाडियो में श्मशान के अगारे भरकर दोनो का आपस मे मुंह मिलाकर जगल मे गाड __ देने से मेघ का स्तम्भन हो जाता है। चौलाइ की जड को चादी के ताबीज मे डालकर अपने मुह मे रखने से इच्छित व्यक्ति का मुख स्तंभित रहता है। ऊट के रोमो को किसी पशु पर डाल देने से वह जहां का तहा ही स्तम्भित हो जाता है। कटेली की जड को और मुलहठी को समभाग लेकर पीसे, फिर नाक मे सू घने से निद्रा का स्तभन हो जाता है। ___ जलते हुए भढे मे घोडे का खुर और बेत की जड़ को डाल दिया जाय तो अग्नि का स्तभन हो जाता है। फिर खाली धुग्रा उठता रहता है।
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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