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________________ 658 लघुविद्यानुवाद शुक्ल पक्ष मे पुष्य नक्षत्र पडे तब घू चची की जड लाकर उसे शैया के सिरहाने वाधकर सोने से चोरो का भय नही रहता है। __ कृति का नक्षत्र मे कैथ का बग्धा लाकर मुह मे रखने से शस्त्र के प्राघात का भय दूर हो जाता है। अकोल के फल का तेल निकालकर उसमे तगर के फल का चूर्ण मिलावे, इसे आखो मे आजने से जहा तक दृष्टि जायेगी वहा तक देवी देवता ही दिखाई पडेगे / बाद के केवल तगर के तेल का अजन करने से पुन मानुषि दृष्टि प्राप्त होती है। आकोल का तेल दीपक मे भर कर घर मे जलाने से भूत-प्रेत दिखाई देते है। मीठे तेल मे गधक डालकर दीपक जलाने से घर मे भूत-प्रेत दिखाई देते है। रविहस्त को पमाड की जड, शनिवार को न्योतकर रविवार को प्रात. उसे लाकर दाई भुजा मे बाधने से सब मे जीत होती है / सफेद घू घची को पानी मे पीसकर बिना खू टी वाली खडाऊ पर गाढा लेप कर ले फिर उस पर पाव जमा कर चले तो खडाऊ पाव से अलग नहीं होगी। मूली के पत्तो का रस हाथ मे लेकर बिच्छु पकडने से वह डक नही मारता है / गोखरू बकरी का सीग, ताल बुखारा, शूकर की विष्टा ओर सफेद घू घची इन सबको पीसकर रसोईघर मे डाल देने से मिट्टी के बरतन सब फूट जायेगे। रविवार के दिन प्रात काल लाल एरण्ड को न्योत आवे। शाम के समय उसे एक झटके मे तोड लाये कि उसके दो टुकडे हो जाये। एक टुकडा नीचे गिर पडे, दूसरा हाथ मे रहे, फिर दोनो टुकडो को अलग-अलग रख ले। फिर जिसे पीढे (पाटा) पर बैठा हुआ देखे, उसके शरीर से जो टुकडा नीचे गिर पड़ा हो, उस टुकड़े को छुआवे तो वह आदमी पाटे से चिपक जायेगा। हाथ मे जो रह गया था, उसको स्पर्श करा देने पर वह चिपका हुआ आदमी छूट जायगा। प्राक के दूध मे चावलो को भिगोकर आग पर चढाने से चावल कभी भी नही पकते हैं। भिलावे का रस मे घू घचो, विष, चित्रक और कौच को मिलाकर देने से शत्रु को भूत लग जाता है। चन्दन, खस, माल कागनी, तगर, लाल चन्दन और कूठ को एक मे पीसकर शरोर म लेप करने से भूत उतर जाता है /
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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