________________ लघुविद्यानुवाद 646 घिसके रुई लगाइये, बत्ती घरे बनाये / फिर भिगोवे तेल में, दीपक देय जलाय / / 12 // करे अच भों सब नमें, घर श्मशान दरसाय। सात महल के बीच सू, लावे पलंग उठाय / / 13 / / जो घृत मे घिस के करे, लेप मूत्र नर ताय / सर्व शक्ति बाढ़े अमित, मन अति मोद उठाय / / 14 / / अजा मूत्र में रगड़कर, बेंदा दे जो हाथ / करे दूर की बात वो, रहे यक्षरणी साथ / / 15 / / गोरोचन के साथ घिस, लिखिये जाको नाम / होय बाकी तुरंत, नही देर को काम / / 16 / / लिग पत्र के अर्क सु, घिसिये केवल नाम / भूत प्रेत व डाकिनी, देखत नसे तमाम / / 17 / / स्याउ संग वा रगड़ के, तलुवे तले लगाय / प्रॉख मीच के पलक में, सहस कोस उड़ जाय / / 18 / / जो घिस प्रांजे पीस के, बंदी छोड़ कहाय / बन्दी पड़े छुटे सभी, बिना किये उपाय // 16 // जो गुलाब संग याहि घिस, नाड़ी लेप कराय। घड़ी चार कू जी पड़े, मुरदा सहज सुभाय / / 20 / / फेर अंकोल के तेल में, घिस के प्रांजे कोय / धन दीखे पाताल को, दिव्य दृष्टि जो होय // 21 // जो बाघिन के दूध में, घिस चौपड़े सब अंग / सर्व शस्त्र लागे नहीं, बढ़ कर जीते जंग / / 22 / / घिस कर तिल के तेल में, मर्दन करे शरीर / दिखे सब संसार कू, महावीर रणधीर // 23 //