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________________ लघुविद्यानुवाद ५३७ मोहन कर्मणः सवौं ज्ञातव्य. फल श्री कोति बुद्धि विस्तृति, क्षोभण, द्रावण, वशीकरणानि च ज्ञातव्यम् । अथ बीजोत्पत्ति श्र शश्चडीशः र क्षतज ॐ विदारी 'म' महाकाल चतु सयोग फल वशीकरण झौ झः __वाल मुख र क्षतज. ॐ डाकनो मः ‘महाकाल' चतु सयोग फल डाकिनी तिरस्कार: द. वलि. रक्षतजः ___ॐ विदाराम. 'काल' इति चतु. सज्ञः काम बीजात् द्रावण फल पः ‘कपर्दी' र: क्षतज ॐ विदारी मः महाकाल इति चतु. सयोगात् ग श्वड. ॐ विदारी म महाकाल त्रि सयोगात् वर सिद्धि फल, क्षः त्रैलोक्य (ग्रसित) ग्रसन म: महाकाल. ई धूम्र भैरवी 'म' महाकाल क्ष्मी शत्रु सहारः फल श्री लक्ष्मी बीज साधन पूर्व मुक्त हः श्रन्य र. अग्नि बीज ह व्योम वक्त्र फल हर है त्रयाणा, लोक शून्य ‘फल क्ली क्ली ही पूर्व मुक्त फल साधना । इति : यन्त्र नं. ३ कर कुरू कुरू . हं हर
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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