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________________ ४७२ द्वाय नमः -- 10.3 श्लोक नं० ६ विधि नं० १ यंत्र नं १ लघुविद्यानुवाद अनमः ॐ धरण द्वाय न ॐधरणेन्द्राय: त थ द ध न प फ ब भमय ल हर The हर हर ता Mitc हर हर देवदत्त हो Aary 23 23 13 13 121 J FEAAPE凸上日出 र लव श ष स ह स ॐ धर Acanthi भूत प्रेतादि नाशक, पुत्रादि सौभाग्यप्रद महायंत्र (२) हुकार मे देवदत्त गर्भित करके बाहर क्ष कार वेष्टित करें, ऊपर सोलह दलों वाली कमल बनावे, उन सोलह दलो में सोलह स्वर लिखे. ऊपर सोलह दलों का एक और कमल बनावे, उनमे क्रमश: ऐ हा ह्रीं द्राद्री क्लीं क्ष. प्लु' प्ली हा ह्री ह हो ह्रठठ लिखकर बाह्र ॐकार और ह्रींकार लिखना चाहिये । विधि - इस यन्त्र को केशर गोरोचन से से वेष्टित करके धारण करे । जायेगा, भूत, प्रेत पीड़ा भी दूर ܘ भोजपत्र पर लिखकर कन्या के हाथ से कता हुवा सूत्र इससे सर्प का विष उतर जाता है, शरीर दाह कम हो हो जाती है !
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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