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३
यन्त्र न २११
१
५
इस यन्त्र को बालक के गले मे बाधने से रोना दूर होता है ।। २१०॥
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लघु विद्यानुवाद
ॐ
हाँ ॐ ही लुलु
स्वाहा
स्वा देवदत्त
लु
७
यन्त्र न. २१०
२
लु
एक च धन लाभ च । द्वितीय च घन क्षय ॥ त्रितिय मित्र सयुक्त । चतुर्थ च कलह प्रिय ॥ | १ || पच मे सुख लाभाय । षष्टमे कार्य नाशन । सप्तमे धन धान्य च । अष्टमे मरण ध्रुव ॥२॥ नव मे राज सन्मान | कथित जिन भाषित |
केवली समाप्त ॥२११।।