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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न० ११६
यन्त्र न० ११७
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इस यन्त्र को वाधने से कागलो अच्छी होय ।।११६॥
इस यन्त्र को कमर मे बाधे तो वायुगोला की पीडा न रहे तथा गले मे बाँधे साप का जहर उतर जाता है ।।११७॥
यन्त्र न० ११८
६
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३
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२८
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२७ ।
इस यन्त्र को लिखकर चरखे मे बाध कर उल्टा घुमावे, परदेश गया हुआ वापस आता है ।।११८॥
नोट :-पेज नं० २३७ पर यन्त्र नं० १०६ की विधि नीचे दी हई है।