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लघुविद्यानुवाद
यन्त्र न. ५७
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यो
क्ली।
न
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+-यन्त्र न ५८
२०करो
सका
भवतु
कल्प वृक्ष यन्त्र
२सा
इच्चिन
२३.स्वाहा
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मम
इस यन्त्र को रविपुप्य गुरुपुष्य रवि हस्त या रवि मूल मे शुभोपयोग मे सोना चाँदी के पतडे व भोजपत्र पर अष्टगध से लिखे, हमेशा पूजन करे, अक्षत से उन्हे अपने सिर पर डाले । मनुष्य मान सन्मान सत्कार पावे। रोजगार वृद्धि लक्ष्मी प्राप्ति । यन्त्र के एक एक अक्षर मे चौबीस तीर्थकर देवी का निवास है ।।५।।