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________________ लघुविद्यानुवाद २८७ ___ इस यत्र को भोज पत्र पर अथवा कागज पर पच गध से लिखे जिसमे केशर, कस्तूरी कपूर, गोरोचन __ और चदन का मिश्रित हो उत्तम पात्र मे पच गध से तैयार कर चमेली की कलम से लिखे। यह यत्र विशेष कर दीवाली के दिन अर्ध रात्रि के समय लिखना चाहिये और ऐसा समय निकट नही हो और यत्र न० ४२ । ३ ६ ६५ ४ ५ ६४ । ९७ कार्य की आवश्यकता हो तो अमावस्या के अर्ध रात्रि के समय लिख, और जिसके लिये बनाया गया हो, उसी समय प्रात काल दे देवे । यत्र को पास मे रखने से ऋतु वन्ति का स्त्राव नही रुकता हो तो रुक जायेगा। गर्भ धारण करेगी और रक्षा होगी इष्ट देव का स्मरण नित्य करना चाहिये ।।४२॥ लक्ष्मी दाता पांच सौ का यंत्र ॥४३॥ इस यन्त्र को पास मे रखने से लक्ष्मी प्राप्ति होगी और विधान इसका यह है कि यत्र न०४३ २४२ २४६ ३ । २४६ । २४५ २४८ २४४ । २४७
SR No.090264
Book TitleLaghu Vidyanuwada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLallulal Jain Godha
PublisherKunthu Vijay Granthamala Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages693
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size28 MB
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